कालाष्टमी व्रत: भगवान काल भैरव की रौद्र कृपा प्राप्त करने का पर्व, जानिए पूजा विधि व तिथि

कालाष्टमी का व्रत काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है, ऐसे में जानें कब है ये व्रत, क्या है इसका महत्व और इसमें किन बातों का रखना होता है विशेष ध्यान.

By Pushpanjali | May 1, 2024 2:36 PM
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हिंदू धर्म में, कालाष्टमी व्रत एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. यह व्रत भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव देव की पूजा और तंत्र-मंत्र साधना से जुड़ा है. इस बार 01 मई 2024 को कालाष्टमी व्रत मनाया जाएगा.

काल भैरव की पूजा का तांत्रिक महत्व:

तंत्र-मंत्र सिद्धि: काल भैरव तंत्र साधना में अत्यंत महत्वपूर्ण देवता माने जाते हैं. उनकी अनुष्ठानिक पूजा से तंत्र-मंत्र सिद्धि प्राप्त होती है.

रक्षा और कष्ट निवारण: काल भैरव भक्तों की रक्षा करते हैं और उनके जीवन से ग्रह बाधाओं, नकारात्मक ऊर्जाओं, भय और संकटों को दूर करते हैं.

मोक्ष प्राप्ति: काल भैरव की साधना से मोक्ष की प्राप्ति भी संभव मानी जाती है.

मनोकामना पूर्ति: भगवान काल भैरव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

अभय प्राप्ति: काल भैरव भय के देवता नहीं, अपितु भय के नाशक हैं. उनकी पूजा से भक्तों को अभय प्राप्त होता है.

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वैशाख मास कालाष्टमी व्रत:

तिथि: 01 मई 2024
दिवस: मंगलवार
शुभ मुहूर्त: प्रदोष काल (शाम 6:30 बजे से 8:30 बजे तक)

पूजा सामग्री:

  • भगवान काल भैरव की प्रतिमा या यंत्र
  • गंगाजल
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, जल)
  • फूल, फल, मिठाई
  • दीप, अगरबत्ती
  • धूप
  • काला कपड़ा
  • तिल
  • नारियल
  • पान, सुपारी

पूजा विधि:

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-संध्या करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • घर के मंदिर या पूजा स्थान को साफ-सुथरा कर लें.
  • पूर्व दिशा में काल भैरव की प्रतिमा या यंत्र स्थापित करें.
  • प्रतिमा या यंत्र को गंगाजल से स्नान कराएं और पंचामृत से अभिषेक करें.
  • फूल, फल, मिठाई अर्पित करें.
  • दीप, अगरबत्ती जलाएं और धूप करें.
  • काल भैरव मंत्र का जाप करें.

नीचे दिए गए मंत्रों का 108 बार जाप करना विशेष फलदायी माना जाता है:

ॐ नमः शिवाय
ॐ ह्रीं नमः कालभैरवाय
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनं नावहंतु

भोग लगाएं और आरती करें.

प्रदोष काल में निराहार रहकर पूजा करें.

रात में ध्यान करें और भगवान काल भैरव से अपनी मनोकामना व्यक्त करें.

इसके अलावा कालष्ठमी पूजा के दौरान मौन रहकर ध्यान करना चाहिए. नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए. पूरे विश्वास और समर्पण के साथ पूजा करनी चाहिए.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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