Kartik Maas 2024: कार्तिक माह की होने वाली है शुरूआत, इस दौरान इन कार्यों को करने से दूर होती है तकलीफें
Kartik Maas 2024: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। धार्मिक परंपराओं के अनुसार, यह महीना भगवान विष्णु के लिए अत्यंत प्रिय माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस महीने में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने से जीवन में सुख और शांति का संचार होता है, साथ ही आर्थिक कठिनाइयाँ भी समाप्त हो जाती हैं.
By Shaurya Punj | October 17, 2024 8:16 AM
Kartik Maas 2024: कार्तिक मास को भगवान विष्णु का अत्यंत प्रिय महीना माना जाता है. इसे देव पक्ष के रूप में भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस महीने में देवी लक्ष्मी स्वयं पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं. हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार, कार्तिक माह में स्नान, दान और भगवत पूजन करने से सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं. कार्तिक माह की शुरूआत हो रही है, इस दौरान किन कार्यों को करने से शुभफल मिलता है आइए जानें
कार्तिक मास कब से हो रहा है शुरू?
हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना कार्तिक मास के रूप में जाना जाता है. यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर और नवंबर के बीच आता है. इस वर्ष, अर्थात् 2024 में, कार्तिक मास 18 अक्टूबर 2024, शुक्रवार से आरंभ होगा और 15 नवंबर 2024 तक जारी रहेगा.
कार्तिक मास में किसी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है. यदि नदी में स्नान करना संभव न हो, तो आप घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं.
तुलसी पूजा
इस माह में तुलसी की पूजा, सेवन और सेवा का विशेष महत्व है. कार्तिक मास में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. इससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है. इस महीने में प्रतिदिन सुबह स्नान करके तुलसी पर जल अर्पित करना आवश्यक है. ऐसा करने से आपके घर की सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी.
दान
इस माह में दान का भी विशेष महत्व है. अपनी सामर्थ्यानुसार अन्न, वस्त्र और अन्य दान देने का प्रयास करें.
भूमि पर शयन
इस महीने में भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का अनुभव होता है, जिससे सभी प्रकार के रोग और विकारों का समाधान संभव होता है.
इंद्रिय संयम
कार्तिक माह में इंद्रिय संयम, विशेषकर ब्रह्मचर्य का पालन करना अत्यंत आवश्यक है. इसके अभाव में अशुभ फल की प्राप्ति हो सकती है. इंद्रिय संयम में अन्य बातें जैसे कम बोलना, किसी की निंदा या विवाद से दूर रहना, मन पर नियंत्रण रखना, खाने के प्रति आसक्ति न रखना, अधिक सोना या जागना आदि शामिल हैं.