हिन्दू धर्म में होली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन क्या आपको पता है कि यह पर्व आठ दिन पहले से ही शुरू हो जाती है, जिसे होलाष्टक कहा जाता है. इस बार यह दो मार्च से ही लग गया है जो नौ मार्च तक रहेगा. इस दौरान किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य नही किया जाता है.
ऐसी मान्यता है कि इस दौरान शुभ कार्य करने से कोई फल नही मिलता. इसलिए आपने देखा भी होगा कि इस दौरान किसी भी तरह का शादी विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण आदि नही होते.
इसके पिछे बहुत सारी कहानियां छिपी हुई है. जानें ऐसी ही कुछ कहानियों के बारे में –
पहली कहानी
दरअसल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की तपस्या को इसी दौरान कामदेव ने भंग किया था जिसके बाद गुस्से में शिव जी ने शुक्ल पक्ष की अष्ठमी तिथी में उन्हें अपने तीसरे नेत्र से भष्म कर दिया था.
दूसरी कहानी
इसी तरह की एक और कहानी बहुत प्रचलित है. प्राचीन काल में असुरराज हिरण्यकश्यप ने फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से विष्णु भक्त प्रहलाद को प्रताड़ित करना शुरू किया था. हालांकि प्रहलाद के द्वारा लगातार विष्णुजी का ध्यान करते रहने के कारण उनपर यातनाओं का कोई असर नहीं हुआ था. इसके बाद हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने यातना देने की नयी तरकीब अपनायी और फाल्गुन पूर्णिमा पर प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई. लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से यहां भी प्रहलाद बच गया और होलिका आग में जल गई. तब से ही बुराई के अंत का प्रतीक मान होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है.
ये पांच उपाय करने से होलाष्टक के दौरान समस्त दोषों से मिलती है मुक्ति
1. इस दौरान मनुष्य को ज्यादा से ज्यादा ईश्वर की भक्ति और वैदिक अनुष्ठान करना चाहिए
2. रोगी व्यक्तियों को भगवान शिव का पूजन जरूर करना चाहिए. साथ ही साथ घर में महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान करवाएं और घर में प्रतिदिन हवन करें
3. लक्ष्मी प्राप्ति हेतु श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ करें या करवाएं
4. सौभाग्य प्राप्ति के लिए चावल, घी, केसर से हवन करें
5. कन्या के विवाह हेतु-कात्यायनी मंत्रों का इन दिनों जाप करना भी लाभदायक होगा
इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा
प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें. इसके बाद भगवान श्री गणेश को जल से स्नान कराएं फिर उनकी पूजा करें. उन्हें वस्त्र अर्पित कर, गंध, फूल, चावल आदि चढ़ाएं. अब भगवान विष्णु का आवाहन करें और आसन पर स्थापित कर उन्हें जल और पंचामृत से दोबारा स्नान कराएं. फिर उन्हें वस्त्र अर्पित कर तीलक का अभिषेक करें. पुष्पमाला पहनाकर धूप और दीप जलाएं. इसके बाद उनपर प्रसाद से भोग लगवाएं और श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक जलाएं. इस दौरान विष्णुजी के मंत्र का जाप 108 बार करें. इन विधियों को सही से करने से भगवन आपके सारे कष्ट हर लेते है.
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