– कुंडली में मंगल दोष या सप्तम भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव
जब मंगल, शनि या राहु सप्तम भाव में स्थित हों या उसे दृष्टि से प्रभावित करें, तो विवाह में अनावश्यक विलंब हो सकता है. इसे लाल किताब में एक बड़ा कारण माना गया है.
उपाय
- मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं और सुंदरकांड का पाठ करें.
- तांबे का सिक्का बहते पानी में प्रवाहित करें.
- कन्याएं लाल वस्त्र पहनें और मंगलवार का व्रत रखें.
– गुरु या शुक्र का दुर्बल होना
गुरु कन्या के और शुक्र पुरुष के विवाह योगों को दर्शाते हैं. जब ये ग्रह कमजोर या दोषयुक्त होते हैं, तब शादी में अड़चनें आती हैं.
उपाय
- गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करें.
- ब्राह्मण कन्या को पीले वस्त्र और मिठाई का दान दें.
- शुक्रवार को ज्योतिषीय सलाह से चांदी की अंगूठी में हीरा या ओपल धारण करें.
– पितृ दोष या पूर्वजों का अशांत होना
लाल किताब में बताया गया है कि पितृ दोष के कारण जीवन में विवाह सहित कई कार्यों में रुकावट आ सकती है.
उपाय
- पितृ पक्ष या अमावस्या को तर्पण करें.
- पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएं और ” ओम नमः शिवाय” का जाप करें.
- बुजुर्गों की सेवा करें और उनका आशीर्वाद लें.
– पूर्व जन्म के कर्म या अधूरे प्रेम संबंध
कई बार पुराने जन्म के ऋण या अधूरे प्रेम संबंधों की छाया भी विवाह योगों पर असर डालती है.
उपाय
- पूर्णिमा पर भगवान शिव-पार्वती का विवाह रूप से पूजन करें.
- शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाकर 108 बार “ओम नमः शिवाय” मंत्र जपें.
– वास्तु दोष और नेगेटिव एनर्जी
घर का वास्तु भी वैवाहिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. विशेष रूप से अगर उत्तर-पूर्व दिशा में गंदगी, कबाड़ या भारी वस्तुएं हैं, तो विवाह में देरी हो सकती है.
उपाय
- उत्तर-पूर्व दिशा को साफ-सुथरा और हल्का रखें.
- सुबह वहां दीपक जलाएं और गंगाजल का छिड़काव करें.
- तुलसी का पौधा लगाएं और नियमित रूप से उसकी सेवा करें.
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विवाह में देरी केवल भाग्य या समय की बात नहीं होती — इसके पीछे ग्रहों की स्थिति, पितृ दोष, पूर्व जन्म के कारण और घर की ऊर्जा भी जिम्मेदार हो सकती है. लाल किताब के उपाय सरल होते हैं, लेकिन इनका पालन पूरी श्रद्धा और नियमितता से करना चाहिए. साथ ही सकारात्मक सोच और परिवार का सहयोग भी जरूरी है, तभी सच्चा वैवाहिक सुख मिल सकता है.