आने वाली है Masik Shivratri 2025, इस विधि से करें पूजा

Masik Shivratri 2025: हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का अत्यधिक महत्व है. यह हर महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन शिव जी और मां पार्वती की एक साथ पूजा करने से भक्त को उसकी इच्छाओं की पूर्ति होती है. अविवाहित युवक-युवतियों को शिव-शक्ति विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

By Shaurya Punj | May 20, 2025 5:20 PM
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Masik Shivratri 2025: हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का अत्यधिक महत्व है.भोलेनाथ की आराधना के लिए सोमवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है.इसके अतिरिक्त, हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली मासिक शिवरात्रि भी शिव की पूजा के लिए अत्यंत लाभकारी है.हम आपको यहां बताएंगे कि मई 2025 में मासिक शिवरात्रि कब आएगी और इसकी पूजा विधि क्या है.

मई में मासिक शिवरात्रि 2025 कब है

दृक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की चतुर्दशी तिथि 25 मई को प्रारंभ हो रही है.यह तिथि 25 मई को दोपहर 3:51 बजे से शुरू होकर 26 मई को दोपहर 12:11 बजे समाप्त होगी.निशिता काल में पूजा का मुहूर्त 25 मई की रात 11:58 बजे से 12:39 बजे तक रहेगा.इस प्रकार, इस वर्ष ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि 25 मई 2025 को उदया तिथि में मनाई जाएगी.

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पूजा की विधि

प्रातःकाल स्नान और संकल्प

मासिक शिवरात्रि के अवसर पर सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.शुद्ध वस्त्र पहनें और भगवान शिव का ध्यान करें.

पूजन सामग्री तैयार करें

बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, काले तिल, शहद, दूध, दही, घी, गंगाजल, चंदन, फूल, धूप, दीप आदि सामग्रियों को एकत्रित करें.

शिवलिंग का अभिषेक

शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें.इसके पश्चात बेलपत्र, फूल और चंदन अर्पित करें.

मंत्र जाप और आरती

“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप न्यूनतम 108 बार करें.इसके बाद भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद अर्पित करें.

रात्रि जागरण

शिवरात्रि की रात जागरण करना अत्यंत शुभ माना जाता है.भजन-कीर्तन करें और भगवान शिव की कथाएं सुनें.

मासिक शिवरात्रि का महत्व

  • यह दिन आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक विकास का एक अवसर प्रस्तुत करता है.
  • अविवाहित महिलाएं उपयुक्त जीवनसाथी की प्राप्ति हेतु व्रत करती हैं.
  • विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख-शांति के लिए पूजा करती हैं.
  • इससे रोग, शोक, दरिद्रता और दोषों से मुक्ति मिलती है.
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