– जल अर्पण व सूर्य पूजा करें
नौतपा के दौरान प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान कर तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, चावल और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. साथ ही “ओम सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें. इससे शरीर में उष्मा संतुलित रहती है और रोगों से रक्षा होती है.
– हनुमान जी का स्मरण और सुंदरकांड का पाठ
गर्मी और असामयिक कष्टों से रक्षा के लिए नौतपा में रोज़ हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें. हनुमान जी को पवनपुत्र कहा गया है, और उनका स्मरण व वातावरण को शीतल करता है.
– जल से भरी हांडी या घड़ा दान करें
इस समय जल का विशेष महत्व है. मिट्टी के घड़े में ठंडा जल भरकर राहगीरों के लिए प्याऊ लगाएं या मंदिर में जलदान करें. यह पुण्य कार्य ना सिर्फ ताप को शांत करता है बल्कि पितृ दोष और ग्रहदोष से मुक्ति भी देता है.
– सात्विक भोजन और ब्रह्मचर्य पालन
नौतपा में तामसिक भोजन जैसे मांस-मदिरा, प्याज-लहसुन आदि का त्याग करें. सात्विक भोजन ग्रहण करें और मन को संयमित रखें. इससे मानसिक शांति और शारीरिक शुद्धि दोनों मिलती हैं.
– ध्यान और शीतल मंत्रों का जप
इन दिनों “श्री सूक्त”, “शिव पंचाक्षर मंत्र” (ओम नमः शिवाय) या “महालक्ष्मी मंत्र” का जाप करने से मन शीतल रहता है और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है घर में तुलसी या शंख में जल भरकर रखे रहना भी लाभकारी होता है.
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नौतपा सिर्फ एक मौसमीय घटना नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और प्राकृतिक संतुलन का समय है. यदि इन नौ दिनों में धार्मिक उपायों का पालन किया जाए तो जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है.