Pitru Paksha 2025: कब से शुरू होंगे पितृ पक्ष? जानें तिथि

Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो रही है. यह 16 दिवसीय अवधि पूर्वजों की आत्मा की शांति और पितृ ऋण से मुक्ति के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है. यहां जानें पितृ पक्ष की तिथि, महत्त्व और इससे जुड़ी जरूरी धार्मिक जानकारी.

By Shaurya Punj | July 23, 2025 5:40 AM
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Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष 2025 के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध जैसे कर्म किए जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से तर्पण की अपेक्षा रखते हैं. इस अवधि में पवित्र नदियों में स्नान करना और जरूरतमंदों को दान देना विशेष फलदायी माना जाता है. कहा जाता है कि पितृ पक्ष में विधिपूर्वक श्राद्ध कर्म करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों की कृपा जीवन में सुख-शांति लाती है. आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत कब से हो रही है.

पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत कब से होगी?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025, रविवार को हो रही है. भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 7 सितंबर को देर रात 1:41 बजे प्रारंभ होगी और इसी दिन रात 11:38 बजे समाप्त हो जाएगी. ऐसे में 7 सितंबर से ही पितृ पक्ष की विधिवत शुरुआत मानी जाएगी. पितृ पक्ष का समापन 21 सितंबर 2025 को सर्व पितृ अमावस्या के दिन होगा.

पितृ पक्ष 2025 डेट्स

  • पूर्णिमा श्राद्ध- 07 सितम्बर 2025, रविवार
  • प्रतिपदा श्राद्ध- 08 सितम्बर 2025, सोमवार
  • द्वितीया श्राद्ध- 09 सितम्बर 2025, मंगलवार
  • तृतीया श्राद्ध- 10 सितम्बर 2025, बुधवार
  • चतुर्थी श्राद्ध- 10 सितम्बर 2025, बुधवार
  • पञ्चमी श्राद्ध- 11 सितम्बर 2025, बृहस्पतिवार
  • महा भरणी- 11 सितम्बर 2025, बृहस्पतिवार
  • षष्ठी श्राद्ध- 12 सितम्बर 2025, शुक्रवार
  • सप्तमी श्राद्ध- 13 सितम्बर 2025, शनिवार
  • अष्टमी श्राद्ध- 14 सितम्बर 2025, रविवार
  • नवमी श्राद्ध- 15 सितम्बर 2025, सोमवार
  • दशमी श्राद्ध- 16 सितम्बर 2025, मंगलवार
  • एकादशी श्राद्ध- 17 सितम्बर 2025, बुधवार
  • द्वादशी श्राद्ध- 18 सितम्बर 2025, बृहस्पतिवार
  • त्रयोदशी श्राद्ध- 19 सितम्बर 2025, शुक्रवार
  • मघा श्राद्ध 19- सितम्बर 2025, शुक्रवार
  • चतुर्दशी श्राद्ध- 20 सितम्बर 2025, शनिवार
  • सर्वपितृ अमावस्या- 21 सितम्बर 2025, रविवार

पितृ पक्ष का महत्व

पितृ पक्ष हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण अवधि मानी जाती है, जो भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में 16 दिनों तक चलती है. इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे धार्मिक कर्म किए जाते हैं. मान्यता है कि इन दिनों पितर पृथ्वी पर अपने वंशजों से तर्पण की अपेक्षा लेकर आते हैं. जो संतान श्रद्धा भाव से उनका स्मरण और तर्पण करती है, उन्हें पितरों की कृपा प्राप्त होती है. इससे पितृ दोष दूर होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है. धर्मग्रंथों के अनुसार, पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है. इस काल में गंगा स्नान, ब्राह्मण भोज और दान करना पुण्यदायी होता है. पितरों की संतुष्टि से वंश में समृद्धि, संतान सुख और कुल की उन्नति संभव होती है. इसलिए पितृ पक्ष को श्रद्धा और आस्था से मनाना अत्यंत आवश्यक है.

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