– जो मन को जीत ले, वही असली विजेता है
इस कहावत में आत्म-नियंत्रण की महत्ता बताई गई है.अक्सर हम बाहरी दुनिया को जीतने में लगे रहते हैं, लेकिन महाराज कहते हैं कि जब तक मन नियंत्रित नहीं होता, तब तक शांति असंभव है.
संदेश: ध्यान, जप और संयम के द्वारा मन को साधना चाहिए.
– “ईश्वर को दिखाने की नहीं, महसूस करने की चीज है”
प्रेमानंद जी कहते हैं कि ईश्वर को केवल मंदिरों में खोजना पर्याप्त नहीं, उसकी अनुभूति अपने अंतर्मन में करना आवश्यक है. भक्ति केवल दिखावे से नहीं, निश्छल भाव से ही सच्ची होती है.
संदेश: सेवा, नम्रता और सच्चे मन से की गई भक्ति ही ईश्वर तक पहुंचाती है.
– “स्वार्थ छोड़ो, संसार सुधरेगा”
आज का समाज स्वार्थ के कारण ही टूट रहा है महाराज जी की यह कहावत हर रिश्ते में निःस्वार्थ प्रेम और सेवा का संदेश देती है.
संदेश: जब हम दूसरों के लिए सोचने लगते हैं, तब ही सच्चा संतुलन आता है.
– “सच्चा सुख बाहर नहीं, भीतर है”
महाराज जी अकसर कहते हैं कि संसारिक सुख क्षणिक है, परंतु आत्मिक शांति स्थायी है. असली आनंद धन, पद या भोग में नहीं, बल्कि आत्मा की संतुष्टि में छिपा है,
संदेश: ध्यान, साधना और संत-संगति से ही यह सुख प्राप्त होता है.
– “हर स्थिति में ईश्वर को धन्यवाद दो”
चाहे जीवन में सुख हो या दुख, कृतज्ञता की भावना बनाए रखना चाहिए. यह कहावत हमें हर परिस्थिति में ईश्वर की योजना पर भरोसा रखने की प्रेरणा देती है.
संदेश: सकारात्मक सोच और समर्पण से ही जीवन सरल और दिव्य बनता है.
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प्रेमानंद जी महाराज की कहावतें केवल पढ़ने के लिए नहीं, जीवन में अपनाने योग्य हैं. जब हम उनके शब्दों को आचरण में लाते हैं, तब जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन आने लगते हैं.
“भक्ति वही जो जीवन को बदले, केवल शब्दों से नहीं, संस्कारों से”