– प्रातःकाल प्रभु स्मरण करें
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, दिन की शुरुआत यदि प्रभु स्मरण से की जाए तो पूरा दिन सकारात्मक ऊर्जा से भरा रहता है. सुबह उठते ही “ओम नमः शिवाय” या “श्रीराम जय राम जय जय राम” का जाप करें. यह मन को स्थिर करता है और नकारात्मक विचारों से दूर रखता है.
– भजन कीर्तनमें भाग लें
महाराज जी का कहना है कि भजन कीर्तन केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मा की चिकित्सा है.
प्रतिदिन कम से कम 15-20 मिनट का समय भजन या हरे राम-हरे कृष्ण मंत्र में लगाएं. इससे मन में शांति आती है और तनाव स्वतः दूर होता है.
– मौन साधना
प्रेमानंद जी के अनुसार, सप्ताह में कम से कम एक दिन कुछ घंटे “मौन व्रत” अवश्य रखें.
मौन रहने से मन की उथल-पुथल शांत होती है और भीतर की शक्ति जाग्रत होती है. इससे आत्मचिंतन संभव होता है और मानसिक तनाव घटता है.
– अन्न, जल और आचरण की शुद्धता रखें
महाराज जी बार-बार इस बात पर ज़ोर देते हैं कि जैसा अन्न और जल हम ग्रहण करते हैं, वैसा ही हमारे विचार बनते हैं. शुद्ध, सात्विक भोजन करें, और झूठ, दिखावा, ईर्ष्या जैसे मानसिक विकारों से दूरी बनाएं. यह मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य दोनों के लिए अत्यंत आवश्यक है.
– संतों का संग एवं सत्संग में भाग लें
प्रेमानंद जी महाराज स्वयं कहते हैं कि “सत्संग से बड़ा कोई इलाज नहीं”. जब हम सत्संग में बैठते हैं तो हमारी चिंताएं छोटे हो जाती हैं और आत्मा प्रभु के प्रति समर्पित होती है. सत्संग तनाव का दिव्य उपचार है.
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अगर आप जीवन में शांति, संतुलन और तनावमुक्ति चाहते हैं, तो प्रेमानंद जी महाराज के बताए ये उपाय अवश्य अपनाएं. ये न केवल धार्मिक हैं, बल्कि मनोवैज्ञानिक और आत्मिक रूप से भी अत्यंत प्रभावी हैं.