– नाम जप
प्रेमानंद जी कहते हैं, “जैसे बच्चा माँ के नाम से शांत हो जाता है, वैसे ही मन हरि नाम से वश में आता है”
प्रतिदिन सुबह उठकर कम से कम 15 मिनट तक एक ही नाम – “राम”, “कृष्ण”, या “शिव” – का जप करें.
इससे मन में चल रही बाहरी इच्छाएं धीरे-धीरे शांत हो जाती हैं और आत्मा केंद्रित होती है.
– सत्संग का नियमित श्रवण
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि मन जैसा सुनता है, वैसा ही बनता है.
यदि वह संसार के विकारों को सुनेगा तो उसी ओर जाएगा, लेकिन यदि वह संतवाणी सुनेगा, तो आत्मकल्याण की ओर बढ़ेगा.
प्रत्येक दिन 15-20 मिनट उनका सत्संग सुनना मन को सात्त्विक बनाता है.
– सात्विक आहार
मन को वश में करना है तो पहले शरीर को शुद्ध करना होगा.
प्रेमानंद जी का कहना है – “जो खाए अन्न वैसा होवे मन”
तामसिक पदार्थ (मांस, मद्य, लहसुन, प्याज आदि) से बचें और सात्त्विक भोजन (फल, दूध, हल्का शाकाहारी भोजन) करें.
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मन को वश में करना कठिन अवश्य है, परंतु प्रेमानंद जी महाराज द्वारा बताए गए ये उपाय यदि श्रद्धा और नियमितता से अपनाए जाएं, तो यह साधना सरल और सफल हो सकती है.
मन का स्थिर होना ही आत्मा का जागरण है — और यही सच्चा धर्म है.