– शुभ मुहूर्त में राखी बांधें
शास्त्रों के अनुसार किसी भी धार्मिक कार्य का आरंभ शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए. बहन को चाहिए कि वह भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही राखी बांधे. इससे कार्य का फल अनेक गुना बढ़ जाता है और भाई पर आने वाले संकटों का नाश होता है. शुभ समय में बांधी गई राखी, रक्षा कवच का कार्य करती है.
– रक्षा सूत्र बांधते समय मंत्रोच्चारण करें
- बहन जब भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है, तब नीचे दिया गया वैदिक मंत्र अवश्य बोलना चाहिए:
- “येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः
- तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल”
- इस मंत्र के उच्चारण से राखी में आध्यात्मिक शक्ति संचारित होती है और यह भाई के लिए एक दिव्य कवच बन जाती है.
– दीपक जलाकर आरती करें
राखी बांधने से पहले बहन को एक शुद्ध देसी घी का दीपक जलाकर भाई की आरती करनी चाहिए. आरती करते समय ईश्वर से प्रार्थना करें कि भाई का जीवन दीर्घायु, रोगमुक्त और सफल रहे. यह कार्य भाई के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है.
– व्रत एवं प्रार्थना करें
बहन यदि इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण से भाई के कल्याण के लिए प्रार्थना करती है, तो उसका प्रभाव अत्यंत शुभ होता है. प्राचीन काल में द्रौपदी ने भी श्रीकृष्ण से अपने भाइयों की रक्षा की कामना की थी.
– अपने हाथों से भोजन कराना एवं तिलक लगायें
बहन को अपने भाई को ताजे और सात्विक भोजन से तृप्त करना चाहिए. भोजन से पहले रोली, अक्षत और चंदन का तिलक करना अनिवार्य है. यह न केवल धार्मिक परंपरा है, बल्कि इससे भाई के जीवन में शुभता और समृद्धि आती है.
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रक्षाबंधन पर यदि बहन इन पांच धार्मिक कर्तव्यों का पालन श्रद्धा और प्रेम से करे, तो यह भाई के जीवन को संकटों से बचाकर सफलता की ओर अग्रसर करता है. ये परंपराएं केवल कर्मकांड नहीं, बल्कि सच्चे भावनात्मक और आध्यात्मिक बंधन का प्रतिनिधित्व करती हैं.