– भद्रा काल में राखी न बांधें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना गया है. भद्रा को राक्षसी संज्ञा दी गई है और इसका संबंध अशांति से है. यदि इस काल में राखी बांधी जाए तो भाई की आयु व समृद्धि पर प्रभाव पड़ सकता है. अतः भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही रक्षा सूत्र बांधना शुभ माना गया है.
– नकारात्मक विचार और कटु वचन से बचें
शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन जैसे पवित्र दिन पर क्रोध, कटुता, और नेगेटिविटी से दूर रहना चाहिए. इस दिन बोले गए कठोर शब्द परिवार में दरार ला सकते हैं. इसलिए भाई-बहन दोनों को चाहिए कि प्रेम, सौहार्द और नम्रता बनाए रखें.
– मांसाहार और तामसिक भोजन से परहेज करें
रक्षाबंधन का दिन सात्विकता और शुद्धता का प्रतीक है. धर्मशास्त्रों में इस दिन मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज जैसे तामसिक पदार्थों के सेवन को वर्जित माना गया है. शुद्ध और सात्विक भोजन ही देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है.
– अशुद्ध वस्त्र और गंदे वातावरण से बचें
रक्षाबंधन के दिन घर और शरीर दोनों की शुद्धता अत्यंत आवश्यक मानी जाती है. गंदे कपड़े पहनना या बिना स्नान पूजा करना अनिष्ट का कारण बन सकता है. साफ-सुथरे वस्त्र, विशेषकर नए या धुले हुए पारंपरिक वस्त्र पहनकर ही राखी बांधनी चाहिए.
– भाई-बहन में तकरार या उपेक्षा से बचें
यह पर्व भाई-बहन के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण को मजबूत करता है. ऐसे में आपसी उपेक्षा या ईगो इस पावन रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकते हैं. यदि किसी बात को लेकर मनमुटाव हो, तो इस दिन उसे सुलझाकर नवसंवाद स्थापित करना श्रेयस्कर माना गया है.
यह भी पढ़ें : Raksha Bandhan 2025: राखी बांधने से पहले करें ये 5 जरूरी उपाय, मिलेगा भाई को आयुष्य और सफलता
यह भी पढ़ें : Raksha Bandhan 2025 : राखी और जनेऊ, क्या जानते हैं दो पवित्र सूत्रों के बीच का आध्यात्मिक अंतर?
यह भी पढ़ें : Raksha Bandhan 2025 : रक्षाबंधन से जुड़ी हैं विष्णु, इंद्राणी और कृष्ण की कथाएं
रक्षाबंधन का पर्व केवल राखी बांधने का ही नहीं, बल्कि धार्मिक नियमों और आत्मिक शुद्धता का भी पर्व है. यदि हम धर्मशास्त्रों के अनुसार आचरण करें, तो यह दिन न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि सम्पूर्ण परिवार में सुख, शांति और समृद्धि भी लाता है.