रक्षाबंधन का गूढ़ अर्थ: भावनाओं से बंधा एक पवित्र पर्व
‘रक्षा’ यानी सुरक्षा और ‘बंधन’ यानी संबंध — रक्षाबंधन में ये दोनों भावनाएं गहराई से जुड़ी होती हैं। राखी केवल एक रेशमी धागा नहीं, बल्कि यह उस विश्वास की डोर है जो दो दिलों को जोड़ती है। जब बहन राखी बांधती है, तो उसके साथ चलती है उसकी दुआ — भाई के अच्छे स्वास्थ्य, सफलता और हर संकट से बचाव की। वहीं भाई भी वचन देता है कि वह हमेशा अपनी बहन के साथ खड़ा रहेगा, चाहे कोई भी परिस्थिति क्यों न हो.
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रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक कथाएं
श्रीकृष्ण और द्रौपदी की अमर कथा
कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लगी थी, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनका घाव बांध दिया। इस भाव से भावुक होकर श्रीकृष्ण ने वचन दिया कि वे हर हाल में उसकी रक्षा करेंगे। महाभारत के चीरहरण प्रसंग में उन्होंने यह वादा निभाया भी.
यम और यमुनाजी की कथा
एक अन्य कथा के अनुसार, यमुनाजी ने यमराज को राखी बांधी थी और उनकी लंबी उम्र की कामना की थी। इस भाव से प्रसन्न होकर यमराज ने उन्हें अमरता का वरदान दिया। यह कथा इस पर्व के गहरे आध्यात्मिक महत्व को दर्शाती है.
रक्षाबंधन 2025 में कब है राखी? जानें तिथि और मुहूर्त
इस वर्ष रक्षाबंधन शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि शुरू होगी 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे और समाप्त होगी 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे.
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
9 अगस्त की सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक.इसमें अपराह्न काल, यानी दिन का तीसरा हिस्सा, सबसे शुभ माना गया है.
भद्रा काल में न बांधें राखी
हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, भद्रा काल को अशुभ माना गया है और इस समय किसी भी शुभ कार्य से परहेज़ करना चाहिए। इसलिए राखी भद्रा समाप्त होने के बाद ही बांधनी चाहिए, ताकि शुभता बनी रहे.
रक्षाबंधन: भावनाओं का उत्सव, संबंधों की पुनर्पुष्टि
रक्षाबंधन सिर्फ बहन-भाई तक सीमित नहीं है। यह त्योहार हर उस व्यक्ति को जोड़ता है जो आपके जीवन में भाई या बहन जैसी जगह रखता है — चाहे वह दोस्त हो, पड़ोसी हो या दूर का कोई रिश्तेदार। राखी के इस पावन पर्व पर आप भी अपने किसी प्रिय को यह रक्षा-सूत्र बांधकर रिश्ते में नई ऊर्जा और विश्वास का संचार कर सकते हैं.
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