Rakshabandhan 2025: इस रक्षाबंधन पर बांधें वैदिक राखी, दूर होंगी जीवन की परेशानियां

Rakshabandhan 2025: रक्षाबंधन 2025 पर बहनें अपने भाइयों को वैदिक राखी बांधकर उनके जीवन में सुख, समृद्धि और लंबी आयु की कामना कर सकती हैं. मान्यता है कि वैदिक राखी बंधवाने से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो जाता है.

By Shaurya Punj | August 3, 2025 11:41 AM
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Rakshabandhan 2025: रक्षाबंधन पर बहनें वैदिक राखी का प्रयोग करके भाई की रक्षा और सुख-समृद्धि की कामना कर सकती हैं. वैदिक राखी को घर पर आसानी से तैयार किया जा सकता है. इसके लिए पांच वस्तुओं — दूर्वा (घास), अक्षत (चावल), केसर, चंदन और सरसों के दाने — की आवश्यकता होती है. इन सभी को पीले रेशमी कपड़े में बांधकर कलावा में पिरोया जाता है, जिससे वैदिक राखी बनती है. दूर्वा का प्रयोग गणेशजी को प्रिय माना जाता है और यह भाई के जीवन में आने वाले विघ्नों को दूर करता है. वैदिक रीति से तैयार रक्षा सूत्र का महत्व और शक्ति साधारण राखी की तुलना में कहीं अधिक होती है. झूसी स्थित श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय के प्राचार्य व सामवेदाचार्य ब्रजमोहन पांडेय ने बताया कि रक्षाबंधन पर्व वैदिक विधि विधान से मनाना श्रेष्ठ माना गया है.

  • वैदिक राखी में दूर्वा (घास) भाई के जीवन में आने वाले विघ्नों को करेगी दूर
  • इस बार रक्षाबंधन पर बहनें भाई को पूरे दिन बांध सकेंगी राखी, भद्रा व पंचक की बाधा नहीं आएगी

वैदिक राखी यानी रक्षा सूत्र भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है। यह सिर्फ धागा नहीं, बल्कि भावनाओं और संकल्पों का सुरक्षा कवच है। यह भाई को लंबी उम्र, साहस और पराक्रम प्रदान करता है और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है. वैदिक राखी बांधते समय, “येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥” मंत्र का जाप किया जाता है। इसका अर्थ है कि जिस रक्षासूत्र ने महाशक्तिशाली असुरराज बलि को वचन में बांध दिया, वही रक्षासूत्र मैं आपको बांधती हूं. आपकी रक्षा हो. यह धागा टूटे नहीं और आपकी शक्तियों में वृद्धि हो। यही संकल्प बहन भाई को राखी बांधते समय करें.

इस रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाई को पूरे दिन राखी बांध सकेंगी। आचार्य ब्रजमोहन पांडेय के अनुसार भद्रा का उदय सावन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी आठ अगस्त को 1:41 बजे से होगा जो कि रात 1:32 बजे तक रहेगा। जबकि पूर्णिमा तिथि आठ अगस्त को दिन में 1:42 से अगले दिन नौ अगस्त को दिन में 1:23 बजे तक रहेगी. ऐसे में रक्षाबंधन का पर्व उदया तिथि यानी नौ अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन भद्रा का प्रभाव नहीं रहेगा. वहीं, पंचक भी रक्षाबंधन में बाधा उत्पन्न नहीं कर सकेगा क्योंकि किसी भी मुहूर्त में पंचक का कोई प्रभाव नहीं है. कई वर्षों बाद ऐसा शुभ संयोग बना है जब रक्षाबंधन और श्रावणी उपाकर्म के दिन भद्रा और पंचक का प्रभाव नहीं रहेगा. आचार्य ब्रजमोहन पाण्डेय ने बताया कि मकर राशि के स्वामी शनि और सूर्य आपस में समसप्तक योग बना रहे हैं. 29 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि रक्षाबंधन पर शनि मीन और सूर्य कर्क राशि पर रहेंगे. इस पर्व पर आयुष्मान, स्थिर, सौभाग्य, बुधादित्य, हर्ष विपरीत राज, शकट, पाराशरी राज, विमल विपरीत राज और धन योग बन रहे हैं जो काफी फलदायी हैं.

वैदिक राखी बांधने के शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5.29 से 6.05 बजे तक,
  • सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 6.06 से 8:20 बजे तक,
  • विजय मुहूर्त सुबह 10:47 से मध्याह्न 11:58 बजे तक,
  • अभिजीत मुहूर्त मध्याह्न 11.59 से दोपहर 12.53 बजे तक रहेगा
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