महिलाओं के लिए रमजान में रोजा, पीरियड्स में क्या हैं इस्लामिक नियम
Ramadan 2025 Rules: मुसलमानों का पवित्र महीना रमजान आरंभ हो चुका है. इस विशेष महीने में सभी व्यक्तियों के लिए रोजा रखना अनिवार्य होता है. दिनभर की इबादत के बाद, शाम को सभी लोग एकत्र होकर इफ्तार करते हैं. लेकिन इस दौरान घर महिलाओं को जब पीरिड्स होते हैं, तो उन्हें क्या करना चाहिए, जानें.
By Shaurya Punj | March 5, 2025 12:49 PM
Ramadan 2025 Rules: रमजान का पवित्र महीना आरंभ हो चुका है. इस महीने में रोजा रखने का विशेष महत्व है. वास्तव में, रोजा इस्लाम के पांच प्रमुख स्तंभों (तौहीद, नमाज, रोजा, जकात, हज) में से एक है. रोजे के दौरान, सुबह सूरज निकलने से डेढ़ घंटे पहले से लेकर सूर्यास्त तक खाने-पीने की अनुमति नहीं होती है. हालांकि, रोजा रखना सरल नहीं है. रोजे से संबंधित कई नियम हैं, जिनका पालन न करने पर रोजा टूट सकता है. महिलाओं को कुछ विशेष दिनों में रोजा के लिए अलग नियम होते हैं, उन्हें कुछ विशेष सावधानियां बरतनी होती हैं. आइए, इन नियमों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
महिलाओं के लिए पीरियड्स के दौरान रोजा के नियम
महिलाओं के लिए पीरियड्स के दौरान रोजा रखना वैध नहीं है. जब किसी महिला को यह महसूस हो कि उसके पीरियड्स आने वाले हैं, तो वह रोजा रखना बंद कर सकती हैं. इसके बाद, जब उनकी यह अवधि समाप्त हो जाए, तो उन दिनों के लिए रोजा रखना आवश्यक है, जिन दिनों में उन्होंने रोजा नहीं रखा. यदि वह ऐसा नहीं करती हैं, तो इसे गुनाह माना जाएगा. इसके अतिरिक्त, यदि पीरियड्स समाप्त होने के बाद फिर से शुरू होते हैं, तो उन पर वही नियम लागू होंगे. महिलाओं के लिए यदि वे रोजा रख रही हैं और महीने के मध्य में उनका मासिक धर्म शुरू हो जाता है, तो उनका रोजा टूट जाता है और वे पूरे मासिक धर्म के दौरान रोजा नहीं रख सकती हैं.
कुरान में उल्लेख किया गया है कि जो मुसलमान पुरुष या महिलाएँ बीमार, वृद्ध, या मानसिक रोग से ग्रस्त हैं, उन्हें रमजान के दौरान रोजा रखने से छूट दी जाती है. इसके अतिरिक्त, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भी रोजा रखने से छूट प्राप्त होती है. हालांकि, यदि वे रोजा रखने का निर्णय लेते हैं, तो इसे पाप नहीं माना जाएगा.