Sawan 2025 में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पहले जान लें ये नियम

Sawan 2025: सावन 2025 में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। लेकिन सही विधि का पालन न करने पर पूजा का फल अधूरा रह सकता है। ऐसे में जानिए शिवलिंग पर जल अर्पण से जुड़े 6 जरूरी नियम, जो हर भक्त को जानने चाहिए.

By Shaurya Punj | July 7, 2025 7:32 AM
an image

Sawan 2025: सावन का महीना आते ही शिवभक्तों की आस्था चरम पर पहुंच जाती है. यह पावन मास संपूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है. वर्ष 2025 में सावन 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के समय निकले विष (हलाहल) को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था, तभी से उन्हें ‘नीलकंठ’ कहा जाता है. इसी घटना की स्मृति में सावन में विशेष रूप से शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है.

हालांकि शिव पूजा करते समय कुछ नियमों का पालन अनिवार्य होता है, वरना पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पाता. आइए जानते हैं शिवलिंग पर जल अर्पित करने से जुड़े 6 जरूरी नियम जिन्हें हर शिवभक्त को सावन में जरूर अपनाना चाहिए—

किस दिशा में मुंह करके करें जल अर्पण?

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा करें. यह दिशा भगवान शिव का प्रतीक मानी जाती है. पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पूजा करना अशुभ माना जाता है.

Ganesh Chaturthi 2025: इस साल कब है गणेश चतुर्थी , जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

किस धातु के बर्तन से चढ़ाएं जल?

शिवलिंग पर जल अर्पण करते समय स्टील या लोहे के बर्तन का प्रयोग न करें. इन धातुओं को अशुभ माना गया है. इसके स्थान पर तांबे, पीतल या चांदी के बर्तन का उपयोग करें.

शंख से जल चढ़ाना है वर्जित

हालांकि शंख पूजा का प्रमुख अंग माना जाता है, लेकिन शिव पूजा में इसका उपयोग वर्जित है. शंख भगवान विष्णु का प्रतीक है और इसे शिवलिंग पर जल चढ़ाने में प्रयोग करना अनुचित माना गया है.

खड़े होकर जल अर्पित करना नहीं है उचित

जब भी शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, सीधे खड़े होकर ऐसा न करें. हमेशा बैठकर या झुककर जल अर्पण करें, क्योंकि खड़े होकर जल चढ़ाना असम्मानजनक माना जाता है.

साफ और संपूर्ण बेलपत्र का ही करें उपयोग

बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. लेकिन फटे, कटे या सूखे बेलपत्र अर्पित करना पूजा में दोष उत्पन्न करता है. ध्यान दें कि बेलपत्र ताजगीपूर्ण और पूर्ण आकार का हो.

जल की धार निरंतर बनी रहनी चाहिए

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय यह सुनिश्चित करें कि जल की धार लगातार बनी रहे. धार के बीच में रुकावट आना पूजा संकल्प के भंग होने का संकेत माना जाता है.

शिव कृपा पाने का पावन अवसर

सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ समय होता है. अगर आप इन सरल लेकिन प्रभावशाली नियमों का पालन करते हुए श्रद्धापूर्वक पूजा करेंगे, तो भोलेनाथ की कृपा से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होगा.

यदि आप अपनी जन्मकुंडली, वास्तु दोष, व्रत-त्योहार, रत्न या किसी भी ज्योतिषीय समस्या का समाधान चाहते हैं, तो संपर्क करें:

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
(ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ)
8080426594 / 9545290847

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version