शनि जयंती कब है? जानिए पूजा विधि, उपाय और साढ़ेसाती से राहत पाने का तरीका
Shani Jayanti 2025: सनातन धर्म में शनि जयंती का विशेष महत्व है. यह उत्सव न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित है. इस पावन अवसर पर कर्मफल दाता शनिदेव की आराधना की जाती है. इसके साथ ही, इच्छित वरदान प्राप्त करने के लिए साधक व्रत भी रखते हैं. शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में इच्छानुसार सफलता प्राप्त होती है और सभी प्रकार के दुख एवं संकट समाप्त हो जाते हैं.
By Shaurya Punj | April 21, 2025 12:43 PM
Shani Jayanti 2025: भारत की संस्कृति में देवी-देवताओं के उत्सव केवल आस्था से जुड़े नहीं होते, बल्कि ये जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाले भी माने जाते हैं. शनि जयंती एक ऐसा विशेष दिन है, जिसे शनि देव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय का देवता और कर्मों के परिणाम देने वाला ग्रह माना जाता है. कहा जाता है कि यदि किसी की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो, तो शनि जयंती पर की गई सच्ची पूजा और उपाय जीवन की बड़ी समस्याओं से मुक्ति दिला सकते हैं. हर वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या को आने वाली यह तिथि कई लोगों के लिए परिवर्तन और आशा का प्रतीक होती है. कुछ लोग इसे भय से जोड़ते हैं, जबकि अन्य इसे कर्मों के सुधार का अवसर मानते हैं. लेकिन एक बात स्पष्ट है कि शनि देव किसी के साथ अन्याय नहीं करते. जो जैसा करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है. यही कारण है कि इस दिन किए गए दान, जप और उपवास का अत्यधिक महत्व है. जानिए इस वर्ष शनि जयंती कब है.
शनि जयंती 2025 कब है? जानिए तारीख और समय
अमावस्या तिथि शुरू: 26 मई 2025, दोपहर 12:11 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 27 मई 2025, शाम 8:31 बजे
शनि जयंती मनाई जाएगी: 27 मई 2025 (मंगलवार) को
उत्तर और दक्षिण भारत में क्यों अलग-अलग होती है तिथि?
उत्तर भारत में यह पर्व ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है. जबकि दक्षिण भारत में इसे वैशाख मास की अमावस्या को मनाने की परंपरा है. इस अंतर की वजह है अमावस्यांत और पूर्णिमांत पंचांग की गिनती का फर्क.
काले तिल, काले वस्त्र, काले अनाज या सरसों का तेल दान करें.
शनि स्तोत्र, शनि चालीसा या हनुमान चालीसा का पाठ करें.
पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं, माना जाता है इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं.
सच्चे मन से प्रार्थना करें और अपने कर्म सुधारने का संकल्प लें.
शनि देव क्यों कहलाते हैं न्याय के देवता?
शनि देव को कर्मों का दंडाधिकारी कहा गया है. अच्छे कर्म करने वालों को सफलता, धन और सम्मान मिलता है. वहीं बुरे कर्म करने वालों को चुनौती और संघर्ष झेलना पड़ता है, इसलिए शनि जयंती पर सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि अपने कर्मों का आत्ममंथन करना भी बेहद जरूरी होता है. शनि जयंती पर जो लोग नियम और श्रद्धा से पूजा करते हैं, उनके जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं और नई राहें खुलती हैं.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ 8080426594/9545290847