Shani Pradosh Vrat 2024: जीवन में सुख-समृद्धि चाहते हैं? तो करें शनि प्रदोष व्रत, जानें महत्व और पूजा विधि
Shani Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है, इस दिन शिवलिंग की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है. प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र जरूर चढ़ाने चाहिए.
By Radheshyam Kushwaha | August 17, 2024 9:05 AM
Shani Pradosh Vrat 2024: सावन मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि, विशेषकर जब यह शनिवार को पड़ती है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन को शनि प्रदोष व्रत के रूप में मनाया जाता है. शनि देव को समर्पित यह व्रत, न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. आइए, इस व्रत के धार्मिक महत्व, ज्योतिषीय आधार और पूजा विधि पर विस्तार से चर्चा करें-
शनि प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
शनि देव की कृपा: शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है, इस व्रत के माध्यम से भक्त शनि देव को प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. कर्मफल का सिद्धांत: हिंदू धर्म में कर्मफल का सिद्धांत महत्वपूर्ण है. शनि प्रदोष व्रत के माध्यम से भक्त अपने पिछले जन्मों के बुरे कर्मों का प्रायश्चित करते हैं और वर्तमान जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करते हैं. मनोकामनाओं की पूर्ति: यह व्रत मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी किया जाता है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
शनि का प्रभाव: ज्योतिष में शनि को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है. शनि देव व्यक्ति के जीवन में सुख-दुख का कारक माने जाते हैं, इस व्रत के माध्यम से शनि के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है. त्रयोदशी तिथि: त्रयोदशी तिथि को शिव जी से जोड़ा जाता है. शिव और शनि दोनों ही शक्तिशाली देवता हैं. इन दोनों देवताओं की पूजा करने से जीवन में संतुलन स्थापित होता है. शनिवार का महत्व: शनिवार को शनि देव का दिन माना जाता है, इस दिन शनि देव की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है.
शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि
स्नान: व्रत करने वाले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. व्रत का संकल्प: प्रदोष व्रत करने वाले विधि से करें. अपने मन को स्वच्छ करें. फिर व्रत का संकल्प लें. शिवलिंग की पूजा: शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें फूल, बेल पत्र, धतूरा आदि अर्पित करें. दीपक जलाएं: शिवलिंग के सामने घी का दीपक जलाएं. अगर घी नही होने पर तिल का तेल का दीपक जलाए. मंत्र जाप: शिव मंत्र का जाप करें. मंत्र इस प्रकार है ॐ नमः शिवाय. कथा सुनें: शिव पुराण की कथा सुनें. दान: जरूरतमंदों को दान करें.
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