शीतला अष्टमी पूजा सामग्री
शीतला अष्टमी व्रत पूजा के लिए रोली, कुमकुम, मेहंदी, हल्दी, अक्षत, मौली, वस्त्र, दक्षिणा, फूल दही, ठंडा दूध, होली के बड़कुले, जल से भरा कलश, घी, आटे का दीपक, व्रत कथा की पुस्तक, मीठा भात, चूरमा, मगद, खाजा, नमक पारे, शक्कर पारे, बेसन चक्की, पुए, पकौड़ी,राबड़ी, बाजरे की रोटी, पूड़ी, कंडवारे, चने की दाल पूजन सामग्री में शामिल करें.
शीतला अष्टमी पूजा विधि
- शीतला अष्टमी पर एक दिन पहले सप्तमी की रात को प्रसाद बनाकर रख लें.
- अष्टमी के दिन सुबह स्नान कर शीतला माता के मंदिर में मूर्ति पर जल चढ़ाएं.
- रोली, मेहंद, हल्दी, अक्षत, कलावा अर्पित करें.
- अब आटे के दीपक में घी और रुई की बाती लगाकर माता की मूर्ति के सामने रख दें.
- बासी हलवा, पूड़ी, बाजरे की रोटी, पुए, राबड़ी, आदि का भोग लगाएं.
- शीतलाष्टक स्तोत्र का पाठ करें और फिर शीतला अष्टमी व्रत की कथा का श्रवण करें.
- अब जहां होलिका दहन हुआ था वहां पूजा करें. थोड़ा जल चढ़ाएं,पूजन सामग्री चढ़ाएं.
- इस दिन प्रसाद के साथ नीम के कुछ पत्ते भी खाते हैं. इससे रोग मिटते हैं.
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शीतला अष्टमी व्रत नियम
- शीतला अष्टमी के दिन घर में ताजा भोजन नहीं बनाया जाता.
- शीतला अष्टमी के दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता.
- इस दिन ठंडा और बासी भोजन खाते हैं.
- शीतला अष्टमी के दिन नए कपड़े या काले कपड़े न पहनें.
- मां शीतला को ताजा भोजन का बिल्कुल भी भोग न लगाएं.
- सप्तमी और अष्टमी पर सिर नहीं धोना चाहिए.
- इस दिन चक्की या चरखा नहीं चलाना चाहिए.
- शीतला अष्टमी के दिन सिलाई नहीं करना चाहिए और न ही सुई में धागा पिरोते हैं.
- जिस घर में चेचक से कोई बीमार हो उसे यह व्रत नहीं करना चाहिए.
आज माता शीतला को क्यों लगाया जाता है बासी खाने का भोग
आज शीतला अष्टमी है. आज के दिन शीतला माता को बासी प्रसाद का भोग लगाने का विधान है. इसके के पीछे कहा जाता है कि माता शीतला को ठंड़ा भोजन अति प्रिय है. धार्मिक मान्यता के अनुसार माता शीतला के नाम का मतलब है ठंडा. इसलिए लोग शीतला देवी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें ठंडी चीजों का भोग लगाते हैं.
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