Sheetala Ashtami 2025 Bhog: शीतला अष्टमी का त्योहार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे बसोड़ा पर्व के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है और उन्हें विशेष प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता शीतला को बासी भोजन का भोग अर्पित करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और बीमारियों से सुरक्षा मिलती है.
शीतला माता को अर्पित किए जाने वाले प्रमुख भोग
बासी रोटी
शीतला अष्टमी पर ताजा भोजन नहीं बनाया जाता, बल्कि एक दिन पहले से ही खाना तैयार कर लिया जाता है. इस दिन माता को बासी रोटी का भोग अर्पित किया जाता है, जिसे गुड़ या दही के साथ सेवन किया जाता है.
शीतला अष्टमी के पावन अवसर पर सुनें यह व्रत कथा और पाएं सुख-समृद्धि
मीठे चावल
इस दिन मीठे चावल बनाए जाते हैं और उन्हें ठंडा करके माता को अर्पित किया जाता है. इसके लिए चावल को गुड़ या चीनी में पकाया जाता है, जिसमें इलायची, नारियल और सूखे मेवे मिलाए जाते हैं.
कढ़ी और चावल
शीतला माता को बासी कढ़ी-चावल का भोग अर्पित किया जाता है. इसे एक दिन पहले बेसन और दही से तैयार किया जाता है और ठंडा करके अगले दिन माता को समर्पित किया जाता है.
हलवा
इस दिन माता को गेहूं के आटे या सूजी से बना हलवा भी चढ़ाया जाता है. हलवा को घी, चीनी और सूखे मेवों के साथ बनाया जाता है.
पूआ और मालपुआ
गेंहू के आटे या मैदा से बने पूआ या मालपुआ भी माता को अर्पित किए जाते हैं. इन्हें घी में तलकर चीनी की चाशनी में डुबोया जाता है.
दही और बूंदी
शीतला माता को ठंडी चीजें पसंद होती हैं, इसलिए उन्हें दही और बूंदी का भोग अर्पित किया जाता है. यह प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है.
सफेद तिल और गुड़ के लड्डू
माता शीतला को सफेद तिल और गुड़ के लड्डू अर्पित करने की परंपरा प्रचलित है. इसे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद माना जाता है.
शीतला अष्टमी के अवसर पर व्रत रखकर माता शीतला की पूजा करने से परिवार में सुख और शांति बनी रहती है, साथ ही त्वचा संबंधी रोगों से भी सुरक्षा मिलती है. इस दिन ठंडे भोजन का सेवन करने से माता प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं.