कब है वैशाख अमावस्या 2025, जानिए महत्त्व और पूजा का सही तरीका
Vaishakh Amavasya 2025: वैशाख मास की अमावस्या का अत्यधिक महत्व है. इसे वैशाख अमावस्या और दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस तिथि पर पितरों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण का आयोजन किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस क्रिया से पूर्वज संतुष्ट होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इस दिन स्नान और दान का भी विशेष महत्व होता है.
By Shaurya Punj | April 19, 2025 9:21 PM
Vaishakh Amavasya 2025 : हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि का अत्यधिक महत्व है. सनातन धर्म के अनुसार, हर महीने अमावस्या आती है, लेकिन वैशाख माह की अमावस्या को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन पितरों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण जैसे कार्य किए जाते हैं. मान्यता है कि इस दिन इन कार्यों को करने से पितर प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि के साथ वंश वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. वैशाख अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व है. आइए, वैशाख अमावस्या पर स्नान-दान के शुभ मुहूर्त और उपायों के बारे में जानें.
Vaishakh Amavasya 2025की तिथि और शुभ मुहूर्त
साल 2025 में वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल को मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार, यह तिथि 27 अप्रैल को सुबह 4:49 बजे से प्रारंभ होगी और 28 अप्रैल को सुबह 1 बजे तक जारी रहेगी. चूंकि उदया तिथि 27 अप्रैल को है, इसलिए अमावस्या उसी दिन मनाई जाएगी. रविवार को अमावस्या का होना शास्त्रों में शुभ माना जाता है.
सुबह जल्दी उठकर स्नान करना आवश्यक है. इस दिन पवित्र नदी या तालाब में स्नान करने का विशेष महत्व है. यदि संभव न हो, तो आप घर में स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं. स्नान के बाद, घर के मंदिर में दीप जलाएं. इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें. यदि आप उपवास करने में सक्षम हैं, तो इस दिन उपवास भी रखें. इस पवित्र अवसर पर भगवान का ध्यान अधिक से अधिक करें.
Vaishakh Amavasya 2025 का महत्व
वैशाख अमावस्या के दिन स्नान और दान के साथ-साथ पितरों का तर्पण और पिंडदान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है. यह मान्यता है कि इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से व्यक्ति को पितृदोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अतिरिक्त, अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, धन, वस्त्र और भोजन का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, साथ ही धन और धान्य की भी प्राप्ति होती है.