शरद पूर्णिमा का दिन मां लक्ष्मी-चंद्रमा की पूजा के अलावा महर्षि वाल्मीकि का जयंती दिवस भी है. महर्षि वाल्मीकि हिंदू धर्म में श्रेष्ठ गुरु व ब्रह्मांड के प्रथम कवि माने गये हैं. धार्मिक मान्यतानुसार, ब्रह्माजी के कहने पर भगवान विष्णु द्वारा श्रीराम के रूप में अवतार लेने के पहले ही उन्होंने संस्कृत में रामायण की रचना कर दी थी. जिस प्रकार कोई कथा-उपन्यास लिखा पहले जाता है कल्पनाओं, चिंतन-मनन के आधार पर और मंचन बाद में होता है, उसी प्रकार वाल्मीकि की रामायण की रचना के बाद श्रीराम ने असुरों के विनाश तथा सत्पुरुषों की रक्षा का कदम उठाया. मनुस्मृति के अनुसार, वे प्रचेता ऋषि के पुत्र हैं.
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