भगवान शिव के डमरू का है धार्मिक और वास्तु शास्त्र में महत्व, जानकर चौंक जाएंगे
Vastu Tips related to shiv ji damru: भगवान शिव के डमरू का धार्मिक ग्रंथों में विशेष महत्व है, जो आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है. यह डमरू शिव के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करता है और सृष्टि, पालन, और संहार के चक्र को समझने में सहायता प्रदान करता है.
By Shaurya Punj | February 6, 2025 12:11 PM
Vastu Tips related to shiv ji damru: महादेव, जिन्हें देवों के देव के रूप में जाना जाता है, का सम्पूर्ण सृष्टि की रचना में अत्यधिक महत्व है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इनका स्थान सभी देवताओं से ऊँचा है. भगवान अपने शरीर पर अनेक वस्तुएँ धारण करते हैं, जैसे कि सिर पर गंगा, गले में नाग, एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में डमरू. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिव डमरू क्यों धारण करते हैं और इसका क्या महत्व है? आइए, इस विषय पर जानकारी प्राप्त करें.
शिवजी का डमरू क्यों है विशेष
डमरू एक प्रकार का वाद्य यंत्र है जिसे बजाने के लिए उपयोग किया जाता है. वर्तमान में, साधु-संत इसे अपने साथ रखते हैं और कई लोग इसे अपने घरों में भी रखते हैं. भगवान शिव ने सृष्टि के कल्याण के लिए डमरू को धारण किया था. इसका आकार शंक्वाकार होता है और इसके दोनों छोर पर रस्सी बंधी होती है. जब इसे बजाया जाता है, तो यह मधुर ध्वनि उत्पन्न करता है, जिसमें चौदह प्रकार के लय होते हैं. इसकी आवाज सामान्यतः डुग-डुग के रूप में सुनाई देती है. ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के ज्ञाता डॉ एन के बेरा से जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार शिव जी का डमरू का घर में रखने से क्या फायदा होता है.
घर के मंदिर में डमरू का होना और उसका प्रतिदिन घंटी की तरह बजाना अमंगल का कारण नहीं बनता.
डमरू की ध्वनि से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार, डमरू का घर में होना वास्तु दोषों को दूर करने में सहायक है. यह घर में सुख, शांति और समृद्धि को बढ़ावा देता है.
डमरू की ध्वनि शरीर में ऊर्जा का संचार करती है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है. डमरू से उत्पन्न ध्वनि तरंगें शरीर के विभिन्न अंगों पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं.
डमरू का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है. इसे घर में रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और धार्मिक अनुष्ठानों में आरती और स्तुति के समय इसका उपयोग किया जा सकता है.
डमरू की ध्वनि ध्यान की एकाग्रता में सहायता करती है. यह मन को शांत करने और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करती है, जिससे ध्यान में सुधार होता है.