– व्रत का संकल्प एवं तैयारी करें
वट सावित्री पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से शुद्ध होकर व्रत का संकल्प लें. व्रतिनी (व्रत करने वाली स्त्री) को पूर्ण श्रद्धा, पवित्रता एवं संयम के साथ दिनभर निर्जला या फलाहारी उपवास रखना चाहिए. व्रत के दिन लाल वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है.
– पूजन सामग्री का संग्रह
पूजन हेतु आवश्यक सामग्री में निम्न वस्तुएं सम्मिलित होती हैं – वटवृक्ष की शाखा या पास में स्थित वटवृक्ष, लाल सूती धागा (कच्चा सूत), रोली, चावल, हल्दी, कुमकुम, फूल, धूप, दीप, घी, जल से भरा लोटा, पंचमेवा, सप्तधान्य, सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां या चित्र, कथा पुस्तक, और प्रसाद (पूरी, सब्जी व मिठाई).
– वटवृक्ष की पूजा विधि
व्रति वटवृक्ष के पास जाकर जल अर्पण करती है, फिर व्रक्ष की जड़ में दूध मिश्रित जल चढ़ाया जाता है. इसके पश्चात रोली, चावल, फूल, हल्दी व कुमकुम से पूजन होता है. तत्पश्चात व्रक्ष के चारों ओर 7, 11 या 21 बार कच्चा सूत लपेटते हुए परिक्रमा की जाती है. हर परिक्रमा में पति की दीर्घायु, सुख, समृद्धि एवं अखंड सौभाग्य की प्रार्थना की जाती है.
– व्रत कथा का श्रवण एवं वाचन
वट सावित्री व्रत की कथा का श्रवण अथवा पाठ अति आवश्यक माना गया है. इसमें सावित्री द्वारा यमराज से अपने पति सत्यवान को वापस प्राप्त करने की वीरता, निष्ठा एवं श्रद्धा का वर्णन है. कथा के पश्चात “सावित्री-सत्यवान” का नाम लेते हुए आरती की जाती है.
– पूजन के बाद समर्पण एवं व्रत समाप्ति
पूजन एवं कथा के पश्चात ब्राह्मण या सुहागिन स्त्रियों को भोजन कराकर, वस्त्र, फल, दक्षिणा आदि दान करना चाहिए. इसके बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण करके व्रत को पूर्ण करें. मन में भगवान विष्णु, देवी सावित्री और वटवृक्ष का स्मरण कर सभी सुखों की प्राप्ति की कामना करें.
यह भी पढ़ें : Vat Savitri Purnima 2025 के शुभ अवसर पर भूल से भी न करें ये गलतियां, पड़ेगा दुष्प्रभाव
यह भी पढ़ें : Vat Savitri Purnima 2025 का पहली बार रख रहे हैं, तो इन बातों का रखें ध्यान
यह भी पढ़ें : Astro Tips For Married Women: शादीशुदा महिलाओं को ध्यान में रखनी चाहिए ये बातें, वैवाहिक रिश्ते के लिए है शुभ
यह व्रत संतान, सौभाग्य और पति की रक्षा हेतु विशेष फलदायक माना गया है. वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत नारी शक्ति की दृढ़ता और भक्ति का प्रतीक है.