Vat Savitri Vrat 2025: पहली बार वट सावित्री व्रत कर रही हैं? आपकी हर शंका का जवाब यहां मिलेगा

Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री का व्रत करने से पति की आयु में वृद्धि होती है और व्रती महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यदि आप शादी के बाद पहली बार वट सावित्री का व्रत करने जा रही हैं, तो इन बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।

By Shaurya Punj | April 25, 2025 12:56 PM
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Vat Savitri Vrat 2025: अगर आप शादीशुदा हैं और पहली बार वट सावित्री व्रत रखने जा रही हैं, तो ये जानकारी आपके लिए बेहद काम की है. यह व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं. इस व्रत की सबसे खास बात यह है कि इसे पूरी श्रद्धा, संयम और नियमों के साथ किया जाता है. वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को रखा जाता है. इस बार यह व्रत 26 मई 2025 (सोमवार) को मनाया जाएगा.

क्यों खास है वट सावित्री व्रत?

वट सावित्री व्रत की पौराणिक कहानी महाभारत से जुड़ी हुई है. इसमें बताया गया है कि सावित्री नाम की एक पत्नी ने यमराज से अपने पति सत्यवान का जीवन वापस पाया था, वो भी अपनी तपस्या और दृढ़ संकल्प के बल पर. इसीलिए इस दिन को पति-पत्नी के प्रेम, समर्पण और विश्वास का प्रतीक माना जाता है. इस दिन वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों वटवृक्ष में वास करते हैं.

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पूजा सामग्री (Puja Samagri) क्या चाहिए?

अगर आप पहली बार यह व्रत रख रही हैं, तो पूजा के लिए ये चीजें जरूर रखें:

  • मौली या कलावा
  • कच्चा सूत (धागा)
  • वटवृक्ष का फल
  • बांस से बनी पंखी
  • कुमकुम, सिंदूर, रोली, चंदन
  • अक्षत (चावल)
  • दीपक, अगरबत्ती, इत्र
  • 1.25 मीटर लाल या पीली चुनरी
  • बताशा, सुपारी, पान के पत्ते
  • वट सावित्री व्रत कथा की किताब
  • जल से भरा कलश, नारियल
  • मिठाइयां, मखाना, भीगा चना, मूंगफली, पूरी और गुड़

व्रत के नियम (Rules You Should Follow)

  • इस दिन निर्जल व्रत (बिना पानी पिए उपवास) किया जाता है, इसलिए अपनी सेहत का खास ध्यान रखें.
  • लाल या पीले कपड़े पहनें और सोलह श्रृंगार करें.
  • मन को शांत रखें और किसी से विवाद या बहस न करें.
  • घर के बड़ों से आशीर्वाद ज़रूर लें.
  • तामसिक भोजन (लहसुन, प्याज, मांस) से परहेज करें.
  • बरगद के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करें और कच्चा सूत लपेटें.

व्रत का समापन कैसे करें?

व्रत का समापन अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद होता है. इस समय पति को प्रणाम करें, उनका आशीर्वाद लें और उन्हें व्रत का प्रसाद दें. माना जाता है कि इससे वैवाहिक जीवन में प्रेम और सुख-शांति बनी रहती है. अगर यह आपका पहला व्रत है, तो खुद पर ज्यादा दबाव न डालें. जितना बन सके उतना करें, लेकिन श्रद्धा और भक्ति में कोई कमी न रखें. व्रत से जुड़ी कथा जरूर पढ़ें या सुनें और इस दिन को अपने लिए एक पवित्र अनुभव की तरह लें. वट सावित्री व्रत ना केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जिसमें आप अपने रिश्ते में आस्था, विश्वास और प्रेम की नई ऊर्जा भर सकती हैं.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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