Vat Savitri Vrat 2025: हर सुहागन महिला का सपना होता है कि उसका दांपत्य जीवन सुखमय और उसका पति दीर्घायु हो. इसी कामना को पूर्ण करने के लिए वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व होता है. यह व्रत नारी शक्ति की अटूट श्रद्धा और पति के लिए निस्वार्थ प्रेम का प्रतीक माना जाता है. साल 2025 में यह पावन व्रत 27 मई को मनाया जाएगा. इस दिन महिलाएं पूरे श्रद्धा भाव से वट वृक्ष की पूजा कर परिवार के सुख-समृद्धि और पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं.
वट सावित्री व्रत में उपयोग होने वाली पूजा सामग्री
वट सावित्री व्रत की पूजा में कई पवित्र और प्रतीकात्मक वस्तुएं होती हैं, जिनका अपना अलग महत्व है. नीचे दी गई है पूरी सामग्री लिस्ट:
- धूप, मिट्टी का दीपक, अगरबत्ती, पूजा की थाली.
- सिंदूर, रोली, अक्षत (चावल).
- कलावा, कच्चा सूत (व्रत के दौरान पेड़ की परिक्रमा हेतु), रक्षासूत्र.
- सवा मीटर लाल या पीला कपड़ा, बांस का पंखा.
- बरगद का फल, लाल और पीले रंग के फूल.
- काला चना (भीगा हुआ), नारियल, पान के पत्ते, बताशा.
- श्रृंगार सामग्री (लिपस्टिक, बिंदी, कंघी आदि).
- वट सावित्री व्रत कथा की किताब.
- सावित्री और सत्यवान की फोटो या प्रतिमा.
- इन सभी सामग्रियों को पूजा थाली में सजा कर वट वृक्ष के नीचे ले जाना चाहिए.
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि
इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनती हैं. इसके बाद व्रती महिलाएं वट वृक्ष के पास जाती हैं और पहले पेड़ की जड़ में सत्यवान-सावित्री की प्रतिमा या फोटो स्थापित करती हैं. फिर धूप, दीप, फूल, अक्षत, सिंदूर आदि अर्पित कर व्रत की पूजा प्रारंभ होती है. इसके बाद कच्चे सूत से वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा की जाती है. परिक्रमा करते समय महिलाएं व्रत कथा का पाठ करती हैं या सुनती हैं. फिर भीगा हुआ चना और वस्त्र अपनी सास को भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है. अंत में व्रत तोड़ने के लिए वट वृक्ष का फल ग्रहण किया जाता है और सामर्थ्यानुसार दान-पुण्य किया जाता है. मान्यता है कि यह विधिपूर्वक व्रत करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है.
बरगद के पेड़ की पूजा का महत्व
वट यानी बरगद का पेड़ हिंदू धर्म में अमरता, दीर्घायु और स्थायित्व का प्रतीक माना गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता सावित्री ने अपने तप और समर्पण से यमराज से अपने पति सत्यवान का जीवन वट वृक्ष के नीचे ही वापस प्राप्त किया था. तभी से यह पेड़ ‘सावित्री का साक्षी’ माना जाता है.
कहा जाता है कि इस दिन जो महिला व्रत रखकर वट वृक्ष की परिक्रमा करती है, उसे यमराज की कृपा और त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इससे न केवल पति की आयु लंबी होती है, बल्कि संतान सुख और पारिवारिक खुशहाली भी मिलती है. इसीलिए आज भी यह व्रत श्रद्धा और विश्वास के साथ लाखों महिलाएं करती हैं.
यह भी पढ़े: Apara Ekadashi 2025: अपरा एकादशी पर इन कामों से रखें दूरी, वरना शुभ फल बन सकता हैं अशुभ