पति-पत्नी के रिश्ते में मिठास लाएंगे Vat Savitri Vrat 2025 के ये सरल उपाय

Vat Savitri Vrat 2025 Remedy: वट सावित्री व्रत 2025 का पर्व न केवल पति की दीर्घायु के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दांपत्य जीवन में प्रेम और समझ को बढ़ाने का एक उत्कृष्ट अवसर भी है. इस दिन किए गए कुछ सरल उपाय पति-पत्नी के संबंध में मिठास लाने और कलह को समाप्त करने में सहायक होते हैं.

By Shaurya Punj | May 22, 2025 11:16 AM
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Vat Savitri Vrat 2025 Remedy and Upay: वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है. यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और अपने पति की दीर्घायु, सौभाग्य और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं. सावित्री ने इसी दिन यमराज से अपने पति सत्यवान को पुनर्जीवित किया था, इसलिए यह व्रत अटूट दांपत्य प्रेम का प्रतीक माना जाता है. 26 मई को वट सावित्री व्रत का आयोजन होगा. इसी दिन सोमवती अमावस्या भी मनाई जाएगी.

अगर पति-पत्नी के रिश्ते में कलह, तनाव या मनमुटाव चल रहा हो, तो वट सावित्री व्रत के दिन किए गए कुछ सरल उपाय वैवाहिक जीवन में मधुरता ला सकते हैं.

सात फेरे लें वट वृक्ष के चारों ओर

इस दिन महिलाएं वट वृक्ष के चारों ओर कच्चा सूत लपेटकर परिक्रमा करती हैं. यह मान्यता है कि यदि पति-पत्नी मिलकर यह परिक्रमा करें और एक साथ व्रत रखें, तो उनके रिश्ते में जो दूरी है, वह समाप्त हो जाती है. इससे आपसी समझ में वृद्धि होती है और प्रेम में गहराई आती है.

गाय के घी का दीपक जलाएं

वट वृक्ष के नीचे गाय के घी का दीपक जलाकर पति-पत्नी के सुखद जीवन के लिए प्रार्थना करें. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आपसी तनाव में कमी आती है.

सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण

इस दिन सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण या अध्ययन करना अनिवार्य है. यदि पति-पत्नी मिलकर इस कथा का श्रवण करें और एक-दूसरे के प्रति समर्पण की भावना बनाए रखें, तो आपसी विश्वास में मजबूती आती है.

मिठाई या मीठा प्रसाद बांटें

व्रत समाप्त होने के पश्चात मीठा प्रसाद जैसे पूड़ी-हलवा या मिठाई को वट वृक्ष को अर्पित कर गरीबों में वितरित करना चाहिए. ऐसा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है.

पति का आशीर्वाद लें और उन्हें तिलक करें

व्रत के अंत में महिलाएं अपने पतियों को तिलक करती हैं, आरती करती हैं और उनके चरणों को स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. यह परंपरा आपसी सम्मान और प्रेम को प्रोत्साहित करती है.

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