– काले तिल और जल का दान
योगिनी एकादशी के दिन काले तिलों का प्रयोग स्नान में और पूजा में किया जाता है. तत्पश्चात, काले तिलों को जल में प्रवाहित करना अथवा ब्राह्मण को दान देना अत्यंत पुण्यकारी होता है. यह दान पूर्व जन्मों के पापों को नष्ट करता है और आत्मा को शुद्ध करता है.
– अनाज और फल का दान
इस पावन तिथि पर भूखे और जरूरतमंदों को अन्न, फल, और मीठा भोजन दान करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि “अन्नदान महादान” होता है. इससे व्यक्ति के जीवन में अन्न की कभी कमी नहीं आती और लक्ष्मी कृपा बनी रहती है.
– वस्त्र और चप्पल का दान
गर्मियों के इस समय में गरीबों और साधु-संतों को हल्के वस्त्र, चप्पल, और छाता देना बड़ा पुण्यकारी माना गया है. यह दान योगिनी एकादशी पर विशेष रूप से किया जाए तो रोग-शोक दूर होते हैं और शरीर में ऊर्जा बनी रहती है.
– दक्षिणा और धार्मिक ग्रंथों का दान
ब्राह्मणों को दक्षिणा स्वरूप धन, गो-दान, अथवा धार्मिक पुस्तकों जैसे श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण आदि का दान करने से देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. यह आत्मज्ञान की प्राप्ति में सहायक होता है और गृहस्थ जीवन में सुख-शांति आती है.
– दीप, कपूर और गौ-सेवा का दान
योगिनी एकादशी के दिन शुद्ध देसी घी का दीपक जलाकर, कपूर से आरती कर के उसे मंदिर या पवित्र स्थानों पर दान देना अत्यंत शुभ माना गया है. साथ ही गौ माता को हरा चारा या गुड़ खिलाना अथवा गौशाला में दान करना विशेष पुण्य प्रदान करता है.
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योगिनी एकादशी के दिन उपरोक्त पांच दानों में से कोई भी सच्चे मन से करने पर व्यक्ति को न केवल लौकिक सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है. इस दिन व्रत, पूजा, दान, और सत्कर्म विशेष महत्व रखते हैं.