कैच जीतते हैं मैच पर अगर 10 छोड़ दो तो?
ये विडंबना है कि कहा जाता है ‘कैच जीतते हैं मैच’, लेकिन एक-दो छोड़े गए कैचों से मैच नहीं हारते. पर शायद हारते हैं, अगर आप करीब 10 कैच छोड़ दें. हेडिंग्ले को कठिन फील्डिंग ग्राउंड माना जाता है और दोनों टीमों से कैच छूटे, लेकिन भारत की मिसफील्डिंग का असर ज्यादा पड़ा. यशस्वी जायसवाल ने दोनों पारियों में मिलाकर कम से कम चार कैच गिराए, ओली पोप, बेन डकेट और हैरी ब्रूक के. इनमें से पोप ने ड्रॉप होने के बाद 46, ब्रूक ने 16, और डकेट ने दोनों पारियों में क्रमशः 51 और 52 रन जोड़े.
इसके अलावा रविंद्र जडेजा ने पहली पारी में बैकवर्ड पॉइंट पर कैच छोड़ा, ऋषभ पंत ने ब्रूक का कैच गंवाया और साई सुदर्शन से भी एक मौका छूटा. वहीं ब्रूक पहली पारी में शून्य पर आउट हो गए थे, लेकिन जसप्रीत बुमराह का नो बॉल उनके लिए जीवनदान बन गई. जब मैच इतने नजदीक गया, तो अगर इन मौकों में से आधे भी लपक लिए जाते, परिणाम शायद अलग होता.
शतक तो लगे, पर फिनिशिंग नहीं हुई
हेडिंग्ले में भारत के चार बल्लेबाजों ने मिलकर पांच शतक जमाए एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड. लेकिन यही टीम टेस्ट इतिहास की पहली ऐसी बन गई जिसने इतने शतकों के बावजूद हार झेली. पहली पारी में यशस्वी जायसवाल (101), शुभमन गिल (147), दूसरी पारी में केएल राहुल (137), ऋषभ पंत ( पहली इनिंग में 134 और दूसरी इनिंग में 118). लेकिन भारत का लोअर ऑर्डर दोनों ही पारियों में ढह गया. पहली पारी में 41 रन पर 7 विकेट गंवाए, तो दूसरी पारी में 35 रन पर पांच विकेट ढह गए.
दो बार निचले क्रम की बड़ी नाकामी
भारत पहली पारी में 430/3 से 471 ऑल आउट और दूसरी में 333/4 से 364 ऑल आउट हो गया. दोनों बार शतकवीरों के आउट होते ही निचले क्रम ने पूरी तरह हथियार डाल दिए. भारत के नंबर 8 से 11 तक के बल्लेबाजों ने पहली पारी में 1, 0, 3, 1 और दूसरी में 4, 0, 0, 0 रन बनाए कुल मिलाकर केवल 9 रन. इसके विपरीत इंग्लैंड के अंतिम चार बल्लेबाजों ने अकेले पहली पारी में 72 रन जोड़ दिए.
चयन और रणनीति पर उठे सवाल
भारत ने शार्दुल ठाकुर को चौथे सीमर के रूप में चुना ताकि बल्लेबाजी में गहराई मिले. लेकिन उनका गेंद से इस्तेमाल सवालों के घेरे में रहा. पहली पारी में उन्हें 40वें ओवर में गेंद दी गई और उन्होंने 6 ओवर में 6+ की इकॉनमी से रन दिए. दूसरी पारी में उन्होंने दो विकेट लेकर थोड़ी राहत जरूर दी, लेकिन कुल मिलाकर ऐसा लगा मानो भारत 10 खिलाड़ियों के साथ खेल रहा हो. अगर उनका गेंद से इतना सीमित उपयोग ही होना था, तो बेहतर बल्लेबाज नितीश रेड्डी या विकेट टेकर स्पिनर कुलदीप यादव को खिलाना ज़्यादा तर्कसंगत होता. इसके साथ ही करुण नायर और साई सुदर्शन की बल्लेबाजी ने भी भारत को नुकसान पहुंचाया. नायर के 0 और 20 के स्कोर और सुदर्शन के 0 और 30 के स्कोर बहुत ज्यादा काम नहीं आए.
गेंदबाजी में धार की कमी
जसप्रीत बुमराह को छोड़कर भारत के अन्य गेंदबाज असरदार नहीं दिखे. सिराज ने दूसरी पारी में बेहतर गेंदबाजी की लेकिन विकेट नहीं ले पाए. प्रसिद्ध कृष्णा काफी महंगे साबित हुए और दोनों पारियों में 6 से अधिक की इकॉनमी से रन लुटाए. शार्दुल ठाकुर का योगदान भी ना गेंद से असरदार रहा, ना बल्ले से. दूसरी पारी में तो बुमराह भी सफल नहीं रहे.
‘बैजबॉल’ भी एक बड़ा कारण हो जाता है
अपनी सभी गलतियों और चूकों के बावजूद भारत ने इंग्लैंड को 371 रन का लक्ष्य दिया था. इससे बड़ा स्कोर भारत ने इतिहास में सिर्फ एक बार डिफेंड नहीं किया था वो भी तीन साल पहले इंग्लैंड के खिलाफ ही. बारिश की संभावना, पांचवें दिन की पिच और 4 रन प्रति ओवर का रनरेट ऐसा लगा भारत के पास मैच जीतने का मौका है. लेकिन इंग्लैंड की बैजबॉल शैली के सामने सब बौना पड़ गया. बेन डकेट ने रफ पर खड़े होकर रिवर्स स्वीप में शतक लगाया, क्रॉली और जो रूट ने अर्धशतक बनाए और अंत में जेमी स्मिथ ने फिनिशिंग टच दिया. इंग्लैंड की रणनीति ही यही है कि मैच को अंतिम दिन तक खींचा जाए और तेजी से रन बनाकर जीत दर्ज की जाए.
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