इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बीसीसीआई ने हाल ही में खेल मंत्रालय की उस योजना में रुचि दिखाई है, जिसमें देशभर में स्पोर्ट्स सेंटर स्थापित करने की बात है. पेरिस ओलंपिक में अपेक्षाकृत निराशाजनक प्रदर्शन के बाद, भारत सरकार ने 2028 लॉस एंजेलेस ओलंपिक की तैयारी को लेकर प्रयास तेज कर दिए हैं. इसके तहत भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) भी सक्रिय हो गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बीसीसीआई के अलावा कई कॉर्पोरेट घराने और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) भी कुछ ओलंपिक प्रशिक्षण केंद्रों को फंड करने में रुचि दिखा रहे हैं. प्रत्येक सेंटर किसी एक खेल को समर्पित होगा. स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के पास देशभर में 23 केंद्र हैं, जिनमें से केवल 3 ही किसी एक विशेष खेल के लिए समर्पित हैं. बीसीसीआई को इस क्षेत्र में विशेषज्ञता है, जैसा कि हाल ही में बेंगलुरु के पास नए नेशनल क्रिकेट एकेडमी कॉम्प्लेक्स की स्थापना में देखा गया.
खेल मंत्रालय की योजना है कि ऐसे केंद्र बनाए जाएं, जहां 100-200 खिलाड़ियों की पहचान कर उन्हें एक ओलंपिक से अगले ओलंपिक तक उच्चस्तरीय प्रशिक्षण और पुनर्वास सुविधाएं प्रदान की जाएं. एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “आज खेल मंत्री की 58 कॉर्पोरेट्स के साथ बैठक हुई. उन्होंने इस पहल में रुचि दिखाई. बीसीसीआई जैसे संगठन दो या तीन खेलों की पूरी जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हैं.”
बीसीसीआई भी इसी तरह के परिणामों की उम्मीद कर सकता है. क्रिकेट बोर्ड पहले भी भारतीय ओलंपिक संघ की मदद करता रहा है. पेरिस ओलंपिक से पहले बीसीसीआई ने 8.5 करोड़ रुपये की मदद का ऐलान किया था. एक सूत्र ने बताया, “बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने सरकार से बिना किसी खर्च के ओलंपिक प्रशिक्षण केंद्रों को विकसित करने में रुचि जताई है. ऐसे खेल जैसे कि बेसबॉल, जो क्रिकेट से मिलते-जुलते हैं, उनमें बीसीसीआई अच्छा काम कर सकता है.”
ओडिशा की तर्ज पर बीसीसीआई की रणनीति?
हॉकी इंडिया और ओडिशा सरकार की साझेदारी ने पिछले कुछ वर्षों में भारतीय हॉकी टीम की किस्मत बदल दी. एक समय स्पॉन्सरशिप के लिए जूझ रही टीम को ओडिशा सरकार ने सहयोग दिया. हॉकी इंडिया और ओडिशा सरकार की साझेदारी ने भारतीय हॉकी की तस्वीर बदल दी, जहां सरकार ने न सिर्फ स्पॉन्सरशिप दी बल्कि विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार किया, जिसका नतीजा पेरिस ओलंपिक में पुरुष टीम के कांस्य पदक के रूप में दिखा. वहीं, बीसीसीआई का फोकस खिलाड़ियों और ट्रेनिंग सेंटर तक सीमित रहेगा, लेकिन क्रिकेट बोर्ड की फिटनेस, ट्रेनिंग और रिहैबिलिटेशन में विशेषज्ञता ओलंपिक एथलीटों की तैयारी में अहम भूमिका निभा सकती है, जिससे लॉस एंजेलस 2028 में भारत को फायदा मिल सकता है.
ओसीआई कार्डधारकों को लेकर मंथन
रिपोर्ट में बताया गया है कि खेल मंत्रालय उन खिलाड़ियों को टीम में शामिल करने पर विचार कर रहा है, जो भारतीय मूल के हैं, ताकि उन खेलों में भारत की प्रतिस्पर्धा और स्तर को बेहतर किया जा सके, जिनमें भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पकड़ कमजोर है. विशेष रूप से भारतीय फुटबॉल में, यह विचार तेजी से उभर रहा है कि ओवरसीज सिटिजन्स ऑफ इंडिया (OCI) कार्डधारकों को मौका दिया जाए. भले ही ओसीआई कार्डधारकों को भारत में रहने और काम करने की अनुमति है, लेकिन वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते.
2008 में तत्कालीन खेल मंत्री एम.एस. गिल ने एक नीति बनाई थी जिसके तहत केवल भारतीय नागरिक ही अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व कर सकते थे. इस नीति ने पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन (PIO) और ओसीआई कार्डधारकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. इसका उद्देश्य घरेलू प्रतिभाओं को विकसित करना था. खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा,“हम एक ऐसी योजना लाने पर विचार कर रहे हैं जिसमें ओसीआई कार्डधारकों को देश का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी जाए, खासकर फुटबॉल जैसे खेलों में, जहां हम कमजोर हैं. इसमें दोबारा विचार करने में कोई हानि नहीं है, क्योंकि हमारा उद्देश्य है कि देश का प्रतिनिधित्व सबसे बेहतरीन प्रतिभाएं करें.”
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