भारत में हुई बीमारी और 25 की एज में ही खत्म हुआ करियर, गेंदबाज जिसने नो बॉल पर बनवाए नियम; 87 की उम्र में छोड़ी दुनिया

Gordon Rorke: गॉर्डन रॉर्के वैसे गेंदबाज थे, जिन्हें अंग्रेजी मीडिया ने ब्लॉन्ड जायंट कहा. डेब्यू मैच में ही उन्होंने 5 विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया को एशेज जितवाया और जिनकी वजह से नो बॉल के नियमों में बदलाव किया गया. हालांकि भारत दौरे पर गंभीर रूप से बीमार होने के कारण उनका करियर महज 25 की उम्र में खत्म हो गया. 27 जून 1938 को जन्मे रॉर्के ने 5 जुलाई 2025 को 87 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया.

By Anant Narayan Shukla | July 9, 2025 10:52 AM
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Gordon Rorke: सन 1959 की गर्मियों में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच एशेज टेस्ट सीरीज में एक ऐसे तेज गेंदबाज टेस्ट क्रिकेट में कदम रखा, जिसे अंग्रेज मीडिया ने ब्लॉन्ड जायंट कहा. 6 फुट 5 इंच लंबे गॉर्डन रॉर्के का ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में छोटा, लेकिन प्रभावी करियर रहा. अपनी अनोखे बॉलिंग के लिए फेमस रॉर्के ने नो बॉल की समीक्षा करने पर मजूबर कर दिया. हालांकि भारत में हुई बीमारी ने उनका करियर ही समाप्त कर दिया और वे 25 साल की उम्र में ही रिटायरमेंट लेकर क्रिकेट से दूर हो गए. 27 जून 1938 को सिडनी में जन्मे रॉर्के ने 5 जुलाई 2025 को दुनिया को अलविदा कह दिया. 

एडिलेड टेस्ट में धमाकेदार एंट्री

रॉर्के ने अपना डेब्यू एडिलेड में किया और पहली ही पारी में 3 विकेट चटकाए, जिनमें कॉलिन कॉड्री (84), टॉम ग्रैवनी और विली वॉटसन जैसे नाम शामिल थे. दूसरी पारी में भी उन्होंने 2 विकेट लेकर अपने इरादे जता दिए कि यह नया लड़का मामूली नहीं है. दो हफ्ते बाद मेलबर्न टेस्ट में भी उन्होंने 3 विकेट झटके. इसकी बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने एशेज सीरीज जीता. इसके बाद 1959 में ही उन्हें पाकिस्तान-भारत दौरे के लिए चुन लिया गया. हालांकि पाकिस्तान दौरे पर उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन जैसे ही रे लिन्डवाल बाहर हुए, रॉर्के को भारत के दिल्ली टेस्ट में मौका मिला. 

खतरनाक बॉलिंग एक्शन के लिए भी मशहूर हुए गार्डन

गार्डन रॉर्के का एक कदम 7 फीट लंबा होता था और जब वो रनअप लेकर गेंदबाजी करते थे, तो उनके पैर कई बार क्रीज के आगे निकल जाते थे. दरअसल वे अपनी पिछली पैर को खींचते हुए इतना आगे ले आते थे कि अगला पैर कई फीट आगे जाकर गेंदबाजी करता था अंग्रेज मीडिया ने उन पर बॉलिंग में ‘थ्रो’ करने और ‘ड्रैगिंग’ का आरोप लगाया. एक तस्वीर में तो साफ दिखा कि उनका पिछला पैर बॉलिंग क्रीज के पार था, जबकि उन्होंने गेंद फेंकी भी नहीं थी! इंग्लैंड के कॉलिन कॉड्री, जिन्होंने एडिलेड टेस्ट में 84 रन बनाए थे, उन्होंने मजाक में कहा था, “मुझे डर था कि कहीं वो मेरी उंगलियों पर ही न चढ़ जाए!” हालांकि, उनके गेंदबाजी एक्शन की इसी तकनीक ने नो-बॉल के नियमों की समीक्षा को प्रेरित किया.

भारत दौरा और दुर्भाग्यपूर्ण अंत 

पाकिस्तान के खिलाफ शुरुआती टेस्ट में उन्हें नहीं चुना गया, हालांकि किस्मत को कुछ और मंजूर था. कानपुर टेस्ट में वह केवल दो ओवर फेंक पाए और बीमार होकर मैच से बाहर हो गए. वे हेपेटाइटिस की चपेट में आ गए और हालत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें तत्काल ऑस्ट्रेलिया वापस भेजा गया. बीमारी के बाद वो कभी अपने पुराने लय में नहीं लौट सके. 25 साल की उम्र में ही उनका इंटरनेशनल करियर समाप्त हो गया. 1964 में न्यू साउथ वेल्स की टीम से भी बाहर हो गए. न्यू साउथ वेल्स की ओर से फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने 24.60 की औसत से कुल 88 विकेट झटके.

उनका करियर खत्म हुआ, मगर जिंदगी ने उन्हें नई चुनौती दी. उनके घुटने की तीन बार सर्जरी की गई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. गॉर्डन रॉर्के का करियर छोटा था, लेकिन उनकी छाया लंबी रही. उनका रनअप और उनकी कहानी एक तेज तूफान की तरह जो क्रिकेट के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा. 5 जुलाई को 87 वर्ष की उम्र में अपने पीछे उन्होंने एक परिवार छोड़ा जिसमें चार बच्चे और 11 पोते-पोतियां हैं.

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