‘टूटा हूं पर हारा नहीं’, IND vs ENG मैच में क्रिस वोक्स करेंगे बल्लेबाजी! पहले भी हो चुका है ऐसा कारनामा
IND vs ENG: क्रिकेट के मैदान पर साहस और समर्पण की सबसे बड़ी मिसाल तब देखने को मिली जब इंग्लैंड के ऑलराउंडर क्रिस वोक्स, कंधे की चोट के बावजूद, एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के निर्णायक मैच में जरूरत पड़ने पर बल्लेबाजी के लिए तैयार हो गए. उनकी यह हिम्मत 1986 में सलीम मलिक की टूटी कलाई के साथ बल्लेबाजी की याद दिलाती है, जिसने क्रिकेट इतिहास के वीरतम क्षणों में से एक बनाया. वोक्स का यह कदम सिर्फ एक खिलाड़ी का नहीं, बल्कि पूरे खेल के जज्बे का प्रतीक है.
By Aditya Kumar Varshney | August 4, 2025 1:46 PM
IND vs ENG, Chris Woakes: क्रिकेट महज एक खेल नहीं, जज्बातों की लड़ाई है और जब यह लड़ाई मैदान पर शरीर और आत्मा दोनों से लड़ी जाती है, तब वह इतिहास में दर्ज हो जाती है. ओवल में चल रही एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के अंतिम दिन एक ऐसा ही क्षण सामने आया, जब इंग्लैंड के ऑलराउंडर क्रिस वोक्स ने चोट के बावजूद टीम के लिए खुद को अंतिम बल्लेबाज के तौर पर पेश किया. यह महज खेल में वापसी नहीं थी, बल्कि क्रिकेट के साहस और समर्पण के उच्चतम आदर्शों की एक मिसाल थी.
IND vs ENG: कंधे की गंभीर चोट, वोक्स की तत्परता
सीरीज का यह आखिरी टेस्ट एक बेहद नाजुक मोड़ पर है. इंग्लैंड को जीत के लिए महज 35 रन की जरूरत है, लेकिन विकेट गिरते जा रहे हैं. ऐसे में इंग्लैंड को अपने 11वें नंबर के बल्लेबाज की जरूरत पड़ सकती है, और यही वह स्थान है जहाँ पर चोटिल क्रिस वोक्स ने आगे आकर कहा कि वह जरूरत पड़ने पर खेलने को तैयार हैं. वोक्स को मैच के पहले दिन कंधे में गंभीर चोट लगी थी एक तरह से उनकी सीरीज वहीं खत्म मानी जा रही थी. लेकिन जैसे ही टीम को उनके समर्पण की जरूरत पड़ी, उन्होंने अभ्यास थ्रोडाउन शुरू कर दिए और खुद को तैयार बताया.
इंग्लैंड के स्टार खिलाजडी जो रूट ने वोक्स के इस समर्पण की सराहना करते हुए कहा, “वह भी हम सभी की तरह पूरी तरह से तैयार हैं. यह उस तरह की सीरीज रही है, जहाँ खिलाड़ियों को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ी है. उम्मीद है कि ऐसा वक्त नहीं आएगा, लेकिन अगर आए तो वह तैयार हैं.” यह बयान वोक्स के चरित्र की गहराई को दर्शाता है अपने शरीर की परवाह किए बिना टीम के लिए मैदान पर उतरने का हौसला रखना कोई साधारण बात नहीं.
क्रिस वोक्स की यह तत्परता बरबस 1986 के फैसलाबाद टेस्ट की याद दिला देती है, जब पाकिस्तान के सलीम मलिक टूटी हुई कलाई के साथ बल्लेबाजी करने लौटे थे. वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में, तेज गेंदबाज मैल्कम मार्शल की गेंद मलिक के बाएं हाथ पर लगी थी, जिससे उनकी कलाई टूट गई थी. सभी को लगा कि उनका खेल खत्म हो गया, लेकिन उन्होंने प्लास्टर बांधकर मैदान में वापसी की. पहले उन्होंने बाएं हाथ से और फिर दाएं हाथ से बल्लेबाजी की.
मलिक की यह लड़ाई वसीम अकरम के साथ आखिरी विकेट के लिए साझेदारी में तब्दील हुई, जिसने पाकिस्तान को एक यादगार जीत दिलाई. यह वाकया आज भी क्रिकेट के इतिहास में एक साहसी कार्य के रूप में याद किया जाता है.
आज जब क्रिस वोक्स जैसा खिलाड़ी इसी भावना से तैयार खड़ा है तो यह सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि समर्पण, हिम्मत और खेल भावना की जीत बन जाता है. चाहे उन्हें बैटिंग करनी पड़े या नहीं, उनका यह साहसी कदम इस सीरीज की सबसे प्रेरणादायक कहानियों में से एक बन गया है.