गौतम गंभीर की कोचिंग टीम की आलोचना का यह दौर ऐसे समय पर आया है, जब भारत का गेंदबाजी विभाग खासतौर पर टेस्ट क्रिकेट में लगातार संघर्ष करता दिख रहा है. इसके अतिरिक्त, चयन समिति के प्रमुख अजीत अगरकर और चयनकर्ता शिव सुंदर दास पर भी उंगलियां उठ रही हैं. खासकर कुछ चयन निर्णयों, जैसे कुलदीप यादव को मौका न देना, ने टीम चयन पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
मोर्ने मोर्केल और डेशकाटे पर लटक रही तलवार
जब पिछले साल गौतम गंभीर को भारतीय टीम का मुख्य कोच बनाया गया था, तब उन्होंने अपने पसंदीदा सहयोगियों को भी कोचिंग स्टाफ में शामिल किया. इनमें पूर्व दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाज मोर्ने मोर्केल को गेंदबाजी कोच, डच ऑलराउंडर रेयान टेन डेशकाटे को सहायक कोच और अभिषेक नायर को एक अन्य सहायक कोच के रूप में नियुक्त किया गया था. ये सभी पहले आईपीएल फ्रेंचाइजियों लखनऊ सुपर जाएंट्स और कोलकाता नाइट राइडर्स में गंभीर के साथ काम कर चुके थे.
हालांकि, अभिषेक नायर को इस साल की शुरुआत में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के बाद ही हटा दिया गया था. अब मोर्केल और डेशकाटे की भूमिका को लेकर भी बीसीसीआई में असंतोष देखा जा रहा है. रिपोर्ट में यह कहा गया है कि बोर्ड को लगता है कि मोर्केल ने भारतीय तेज गेंदबाजों की परफॉर्मेंस में कोई खास सुधार नहीं किया है. बुमराह, सिराज जैसे गेंदबाज या तो आउट ऑफ फॉर्म रहे हैं या फिर फिटनेस से जूझते नजर आए हैं. दूसरी ओर, डेशकाटे की कोचिंग भूमिका को लेकर ‘स्पष्टता की कमी’ बताई जा रही है, और बीसीसीआई यह जांच कर रही है कि उनकी वास्तविक भूमिका आखिर है क्या.
इन सबके बीच एक अहम बात यह भी सामने आई है कि बीसीसीआई फिलहाल गंभीर को समय देने के पक्ष में है, ताकि वे अपनी योजना के अनुसार टीम को तैयार कर सकें. हालांकि, गंभीर के सहयोगियों पर भरोसा बनाए रखना फिलहाल बोर्ड के लिए कठिन होता जा रहा है.
IND vs ENG: चयन समिति के निर्णयों पर सवाल
भारतीय टीम के इंग्लैंड दौरे पर प्रदर्शन को लेकर सिर्फ कोचिंग स्टाफ ही नहीं, बल्कि चयन समिति भी आलोचनाओं के घेरे में है. खासकर, चयन समिति के अध्यक्ष अजीत अगरकर और पूर्वी क्षेत्र के चयनकर्ता शिव सुंदर दास पर कई सवाल उठ रहे हैं. यह दोनों वर्तमान में टीम के साथ इंग्लैंड दौरे पर हैं, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि चयन से जुड़े कुछ फैसलों को लेकर टीम मैनेजमेंट और चयनकर्ताओं के बीच मतभेद चल रहे हैं.
इन फैसलों में सबसे बड़ा विवाद कुलदीप यादव को लेकर है. कुलदीप एक मैच विनर माने जाते हैं और उन्होंने हालिया समय में टेस्ट और वनडे दोनों में ही जबरदस्त प्रदर्शन किया है. इसके बावजूद उन्हें अब तक इस सीरीज में एक भी टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिला है. रिपोर्ट के अनुसार, टीम प्रबंधन ने बल्लेबाजी में गहराई और ऑलराउंडरों को प्राथमिकता दी, जिस कारण कुलदीप बाहर रहे. लेकिन इस फैसले पर बीसीसीआई में ही सहमति नहीं है और इस विषय को लेकर आगे जांच हो सकती है.
कुलदीप की अनदेखी ऐसे समय पर हुई है जब भारतीय स्पिन अटैक में ठहराव सा नजर आ रहा है. रविचंद्रन अश्विन उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां उनका हर मैच खेलना तय नहीं है, वहीं रवींद्र जडेजा की फॉर्म भी उतार-चढ़ाव भरी रही है. ऐसे में कुलदीप जैसे प्रभावशाली विकल्प को नजरअंदाज करना, टीम के संतुलन को प्रभावित कर सकता है.
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