सचिन तेंदुलकर ने नवंबर 2013 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया था. 2013 से टीम इंडिया टेस्ट ने 124 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें उसे 67 टेस्ट मैचों में जीत मिली है. वहीं दिसंबर 2013 के बाद से वह 150 से ज्यादा रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए सिर्फ दो बार ही जीत दर्ज कर पाई है, जबकि 17 बार हार का सामना करना पड़ा और सात मुकाबले ड्रॉ रहे. उन दो यादगार जीतों में से पहली 2021 में ब्रिस्बेन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आई थी, जब शुभमन गिल (91) और ऋषभ पंत (89*) के दम पर भारत ने 328 रनों का पीछा कर सीरीज 2-1 से जीत ली थी. इस जीत के साथ भारत ने करीब 32 साल बाद ऑस्ट्रेलिया के एक सबसे मजबूत किले में उन्हें हार चखाई थी.
दूसरी जीत रांची में इंग्लैंड के खिलाफ पिछले साल मिली, जब कप्तान रोहित शर्मा (55) और शुभमन गिल (52*) की अर्धशतकीय पारियों के साथ-साथ अपने करियर के दूसरे टेस्ट में खेल रहे ध्रुव जुरेल की संयमित 39* रनों की पारी ने भारत को 192 रनों के लक्ष्य तक पहुंचाकर सीरीज 3-1 से जिताई.
भारत ने आसान मैच भी गंवाए
भारत ने हाल के वर्षों में कई आसान लक्ष्य (250 रन से कम) का पीछा करते हुए मैच गंवाए हैं, जैसे इंग्लैंड के खिलाफ 2018 में बर्मिंघम में 193 रन (162 पर ऑल आउट), साउथैम्प्टन में 245 रन (184 पर ऑल आउट), 2015 में गॉल में श्रीलंका के खिलाफ 176 रन (112 पर ऑल आउट), 2018 में केपटाउन में साउथ अफ्रीका के खिलाफ 208 रन (135 पर ऑल आउट), और 2024 में हैदराबाद में इंग्लैंड के खिलाफ 231 रन (202 पर ऑल आउट).
अब सवाल यह है कि क्या भारत अपनी इस कमजोर टेस्ट रन चेजिंग की प्रवृत्ति को तोड़ते हुए इंग्लैंड सीरीज के आखिरी दो मुकाबलों में वापसी कर पाएगा? नई टीम इंडिया के नए कलेवर वाले कप्तान शुभमन गिल के ऊपर इसका काफी दारोमदार रहेगा.
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