लड़खड़ा गया था भारत का शीर्ष क्रम
टीम इंडिया अपने पहले मैच में वेस्टइंडीज को हराने के बाद जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच में पिछड़ रहा था. जब भारत पहले बल्लेबाजी करने आया तो विकेट धड़ाधड़ गिरने लगे. सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर और श्रीकांत के शून्य पर आउट हो गये. शीर्ष क्रम बुरी तरह से ढह गया. मोहिंदर अमरनाथ (5 रन), संदीप पाटिल (1 रन) और यशपाल शर्मा (9 रन) भी सस्ते में आउट हो गये. आधी टीम 17 के स्कोर पर पवेलियन लौट चुकी थी.
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कपिल ने संभाली भारतीय पारी
फिर ‘हरियाणा के तूफान’ कपिल देव क्रीज पर आये और हर गेंद पर शॉट खेलने लगे. उन्होंने जिम्बाब्वे के गेंदबाजों की बुरी तरह पिटाई की और 138 गेंद पर नाबाद 175 रन बना डाले. क्रीज पर रहने के दौरान उन्हें रोजर बिन्नी (22 रन), मदन लाल (17 रन) और विकेटकीपर-बल्लेबाज सैयद किरमानी (24* रन) से कुछ बहुत जरूरी सहयोग मिला, जिससे उनकी टीम ने अपने 50 ओवरों में चुनौतीपूर्ण 266/8 का स्कोर बनाया.
कपिल को चुना गया था मैन ऑफ द मैच
कपिल देव के इस कमाल के बाद अब गेंदबाजों की बारी थी. गेंदबाजों ने निराश नहीं किया और नियमित अंतराल पर विकेट चटकाये. केविन करन (73 रन) और रॉबिन ब्राउन (35 रन) को छोड़कर जिम्बाब्वे का कोई भी बल्लेबाज बड़ा स्कोर नहीं बना पाया. भारत ने वह मुकाबला 31 रनों से जीत लिया. भारत के लिए मदन लाल (3/42) और रोजर बिन्नी (2/45) ने शानदार गेंदबाजी की.
कपिल ने पूरे टूर्नामेंट में 303 रन बनाये
175 की नाबाद पारी के बाद कपिल पाजी ने एक विकेट भी चटकाया और उन्हें ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना गया. इसी साल भारत ने पहली बार वर्ल्ड कप जीता और भारत में क्रिकेट का क्रेज बढ़ गया. इस मार्की टूर्नामेंट में भारत के तत्कालीक कप्तान ऑलराउंडर कपिल देव ने आठ मैचों में 60.60 की औसत से एक शतक के साथ 303 रन बनाये. उन्होंने 5/43 के सर्वश्रेष्ठ आंकड़े के साथ 12 विकेट भी चटकाये.