विराट ने 2011 में अपने टेस्ट कैरियर की शूरुआत की थी, जिसे उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जनवरी 2025 में समाप्त किया. पुजारा ने ईएसपीएन क्रिकइंफो से बात करते हुए कहा, “उन्होंने उस दौर में टेस्ट फॉर्मेट पर बहुत ध्यान दिया जब ज्यादातर युवा खिलाड़ी व्हाइट-बॉल क्रिकेट की ओर आकर्षित हो रहे थे. विराट के लिए टेस्ट क्रिकेट ही असली फॉर्मेट था और इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की.”
पुजारा ने यह भी बताया कि विराट ने 2015 में टेस्ट टीम की कप्तानी संभालने के बाद टीम में फिटनेस कल्चर को प्राथमिकता दी, जो भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा बदलाव था. उन्होंने कहा, “जब उन्होंने 2015 में टेस्ट टीम की कप्तानी संभाली, तभी वे फिटनेस कल्चर को भारतीय टीम में लाए. उस समय सभी टीमें फिटनेस पर काम कर रही थीं, लेकिन भारतीय टीम को इसमें सुधार की जरूरत थी और तब यह बड़ा बदलाव देखने को मिला.”
उन्होंने आगे कहा, “उस समय भारतीय टीम में जो तेज गेंदबाज आए, उन्हें भी अपनी फिटनेस पर काम करना पड़ा. पूरी टीम ने फिटनेस को लेकर मेहनत शुरू की और साथ ही विराट ने टेस्ट क्रिकेट पर विशेष ध्यान दिया. वो चाहते थे कि भारतीय टीम दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में शामिल हो.”
पुजारा ने विराट कोहली की कप्तानी की सबसे अहम खूबी को लेकर कहा कि उनका पूरा ध्यान टेस्ट मैच जीतने के लिए 20 विकेट लेने पर रहता था. उन्होंने कहा, “जब से उन्होंने कप्तानी संभाली, उनका लक्ष्य हमेशा टेस्ट में 20 विकेट लेना होता था. मैदान पर जो ऊर्जा और जोश दिखता था, वो बहुत जरूरी होता था. हर खिलाड़ी को योगदान देना होता था ताकि हम 20 विकेट लेने की दिशा में काम कर सकें, और हमने मिलकर उसी लक्ष्य की ओर मेहनत की.”
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