WCL T20: अफरीदी के बयान से भड़की टीम इंडिया
WCL 2025 के पहले सेमीफाइनल में भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने आने वाली थीं. इससे पहले की दोनों टीमें मैदान में उतरतीं, पाकिस्तान के कप्तान शाहिद अफरीदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐसा बयान दे दिया जिससे भारतीय खेमा आगबबूला हो गया. अफरीदी ने कहा, “पता नहीं भारत अब किस मुंह से खेलेगा, पर हमारे साथ ही खेलेगा.” इस बयान को भारतीय टीम ने न सिर्फ अपमानजनक माना, बल्कि इसे राजनीतिक हालात और देश की संवेदनाओं के खिलाफ एक असंवेदनशील टिप्पणी माना.
भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण राजनीतिक संबंधों और हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, भारतीय खिलाड़ी पहले से ही पाकिस्तान के खिलाफ खेलने को लेकर असहज महसूस कर रहे थे. शिखर धवन ने कुछ दिन पहले ही इशारा कर दिया था कि अगर सेमीफाइनल में विरोधी टीम पाकिस्तान हुई, तो वे खेलने से इनकार कर सकते हैं.
अफरीदी की टिप्पणी ने भारतीय टीम की भावना को चोट पहुंचाई और युवराज सिंह, सुरेश रैना, शिखर धवन जैसे सीनियर खिलाड़ियों ने मैच से हटने का निर्णय लिया. पूरा दल मैच शुरू होने से पहले ही स्टेडियम छोड़कर बाहर चला गया और शाहिद अफरीदी बालकनी से असहाय होकर यह तमाशा देखते रह गए. सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल हो गया, जिसमें देखा जा सकता है कि अफरीदी को टीम इंडिया के इस कदम की कोई उम्मीद नहीं थी.
WCL आयोजकों ने फैसले का किया समर्थन
इंडिया चैंपियंस के मैदान से हटने के बाद WCL के आयोजकों की ओर से आधिकारिक बयान सामने आया. आयोजकों ने भारतीय टीम के फैसले का सम्मान करते हुए कहा, “हम भारतीय टीम के सेमीफाइनल से हटने के फैसले का सम्मान करते हैं और साथ ही पाकिस्तान चैंपियन टीम की प्रतिस्पर्धा के लिए तत्परता का भी सम्मान करते हैं. पहला सेमीफाइनल मैच रद्द कर दिया गया है, जिसके चलते पाकिस्तान की टीम को फाइनल में प्रमोट कर दिया गया है.”
https://x.com/WclLeague/status/1950602880144036235
आयोजकों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे हमेशा खेल के माध्यम से पॉजिटिव बदलाव लाने में विश्वास रखते हैं, लेकिन जनभावनाओं की अनदेखी नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि टूर्नामेंट का उद्देश्य केवल क्रिकेट नहीं बल्कि दर्शकों और खिलाड़ियों की भावना का सम्मान करना भी है.
इस पूरे घटनाक्रम के बाद सोशल मीडिया पर भारत के फैसले को जमकर समर्थन मिल रहा है. कई पूर्व क्रिकेटरों और खेल विशेषज्ञों ने भी भारतीय खिलाड़ियों के इस फैसले को सराहा और इसे “राष्ट्रहित में लिया गया साहसी निर्णय” बताया. अफरीदी की टिप्पणी को गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए, कई लोगों ने उनके इस रवैये की आलोचना की.
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