2016 में हुआ था 193 करोड़ का नुकसान
यह आम तौर पर मौजूदा कर में जोड़ा जाता है और किसी वस्तु या सेवा की दर्शायी गयी कीमत में शामिल नहीं होता. आईसीसी के चलन के अनुसार मेजबान देश को सरकार से वैश्विक टूर्नामेंटों के आयोजन के लिये कर में रियायत लेनी होती है. भारत के कर नियमों में इस तरह की छूट का प्रावधान नहीं है. 2016 में टी20 विश्व कप की मेजबानी में भी बीसीसीआई को ऐसी छूट नहीं मिली थी और उसे 193 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.
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मामला इस समय ट्रिब्यूनल के पास लंबित
यह मामला अभी आईसीसी ट्रिब्यूनल में लंबित है. बोर्ड की 18 अक्टूबर को होने वाली एजीएम से पहले प्रदेश ईकाइयों को भेजी गयी रिपोर्ट में कहा गया, ‘आईसीसी का अगला बड़ा टूर्नामेंट आईसीसी विश्व कप 2023 में अक्टूबर नवंबर में भारत में होना है. बीसीसीआई को अप्रैल 2022 तक आईसीसी को कर छूट के बारे में बताना था.’ इसमें कहा गया, ‘आईसीसी ने समय सीमा बढ़ाकर 31 मई कर दी थी. बीसीसीआई ने इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में आईसीसी को बताया था कि 10 प्रतिशत कर (अधिभार के अलावा) देना पड़ सकता है.’
बीसीसीआई चाहता है 10.92 फीसदी कर
रिपोर्ट में कहा गया कि अगर 21.84 प्रतिशत कर चुकाना पड़ा तो आईसीसी से बोर्ड के राजस्व पर इसका विपरीत असर पड़ेगा. समझा जाता है कि बीसीसीआई कर अधिभार मौजूदा 21.84 प्रतिशत से घटाकर 10.92 प्रतिशत लाने के लिये बातचीत कर रहा है. अगर ऐसा हो पाता है तो उसे राजस्व में 430 करोड़ रुपये नुकसान होगा. आईसीसी के 2016 से 2023 के बीच के राजस्व पूल में बीसीसीआई का हिस्सा करीब 3336 करोड़ रुपये है. आईसीसी को भारत में 2023 में होने वाले इस टूर्नामेंट के प्रसारण से 4400 करोड़ रुपये राजस्व मिलने की उम्मीद है.