इस बार की चैम्पियनशिप में भाग ले रही 30 टीमों को उनकी राष्ट्रीय रैंकिंग के आधार पर तीन डिवीजन ए, बी और सी में विभाजित किया गया है. डिवीजन ए में देश की शीर्ष 12 टीमें शामिल हैं, जबकि डिवीजन बी और सी में क्रमशः रैंकिंग में नीचे की टीमें रखी गई हैं. इस तरह का प्रारूप खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करेगा क्योंकि इसमें पदोन्नति (promotion) और पदावनति (relegation) का भी प्रावधान है.
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की ने बताया कि, “जैसे सीनियर और सब-जूनियर राष्ट्रीय टूर्नामेंट में इस प्रारूप से बेहतरीन परिणाम देखने को मिले, वैसे ही जूनियर स्तर पर भी यह बदलाव खिलाड़ियों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा. हमें पूरा विश्वास है कि यह प्रारूप घरेलू खिलाड़ियों के लिए एक सकारात्मक मंच बनेगा.”
डिवीजन ए: शीर्ष रैंकिंग की टीमें आमने-सामने
डिवीजन ए में देश की सबसे मजबूत 12 महिला हॉकी टीमें शामिल की गई हैं. इन्हें चार पूलों ए, बी, सी और डी में बांटा गया है:
- पूल ए: गत वर्ष की चैंपियन हॉकी झारखंड, छत्तीसगढ़ हॉकी और हॉकी कर्नाटक.
- पूल बी: पिछले वर्ष की उपविजेता हॉकी मध्य प्रदेश, हॉकी पंजाब और हॉकी चंडीगढ़.
- पूल सी: तीसरे स्थान पर रही हॉकी हरियाणा, उत्तर प्रदेश हॉकी और हॉकी बंगाल.
- पूल डी: हॉकी एसोसिएशन ऑफ ओडिशा, हॉकी महाराष्ट्र और हॉकी आंध्र प्रदेश.
डिवीजन ए की टीमों के बीच मुकाबला बेहद रोमांचक होने की उम्मीद है क्योंकि इनमें अनुभवी और प्रतिभाशाली खिलाड़ी शामिल हैं. इस स्तर पर खराब प्रदर्शन करने वाली दो टीमें अगले साल डिवीजन बी में रीलीगेट (पदावनत) कर दी जाएंगी.
डिवीजन बी और सी: उभरती प्रतिभाओं को मिलेगा मौका
डिवीजन बी और सी उन टीमों के लिए सुनहरा मौका लेकर आए हैं जो अभी राष्ट्रीय रैंकिंग में शीर्ष 12 में नहीं हैं लेकिन उभरने की क्षमता रखती हैं.
डिवीजन बी में दो पूल हैं:
- पूल ए: मणिपुर हॉकी, पुडुचेरी हॉकी, हॉकी उत्तराखंड, केरल हॉकी और असम हॉकी.
- पूल बी: हॉकी हिमाचल, दिल्ली, हॉकी यूनिट ऑफ तमिलनाडु, हॉकी अरुणाचल और हॉकी एसोसिएशन ऑफ बिहार.
डिवीजन सी में भी दो पूल बनाए गए हैं:
- पूल ए: दादरा और नगर हवेली व दमन और दीव हॉकी, जम्मू और कश्मीर, गोवा हॉकी और त्रिपुरा.
- पूल बी: हॉकी गुजरात, राजस्थान, हॉकी मिजोरम और तेलंगाना हॉकी.
बी और सी डिवीजन की शीर्ष दो टीमों को अगली प्रतियोगिता में क्रमशः ए और बी डिवीजन में पदोन्नत किया जाएगा. इससे युवा खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रतिस्पर्धा का सामना करने और सीखने का अवसर मिलेगा.
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