15 साल और 300+ मैच, ओलंपिक में हैट्रिक, उपलब्धियों से भरा कैरियर; वंदना कटारिया ने लिया संन्यास, भावुक पोस्ट में बताया कारण
Vandana Katariya Retirement: भारतीय महिला हॉकी की दिग्गज खिलाड़ी वंदना कटारिया ने 15 वर्षों तक भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. 320 मैच खेलकर भारतीय महिला हॉकी में रिकॉर्ड स्थापित किया. वह 2020 के टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम के चौथे स्थान पर रहने वाली महत्वपूर्ण सदस्य थीं और एक हैट्रिक बनाकर इतिहास रचने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं. अपने खेल और समर्पण से उन्होंने न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई. अब, संन्यास के साथ उन्होंने अपने शानदार करियर को अलविदा कह दिया.
By Anant Narayan Shukla | April 1, 2025 2:20 PM
Vandana Katariya Retirement: भारतीय महिला हॉकी टीम की प्रमुख और दिग्गज खिलाड़ी वंदना कटारिया ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कह दिया. एक लंबी और शानदार यात्रा के बाद, 32 वर्षीय वंदना ने 15 सालों तक भारत के लिए मैदान पर अपने अद्वितीय खेल का प्रदर्शन किया. उन्होंने भारतीय महिला हॉकी के इतिहास में सबसे ज्यादा 320 मैच खेले हैं और अपनी हिम्मत, समर्पण और उत्कृष्टता से कई युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं. कटारिया ने अपने कैरियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की, जिनमें 2020 के टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम का हिस्सा बनकर चौथे स्थान पर पहुंचना और हैट्रिक बनाना शामिल है. ऐसा करने वाली पहली और एकमात्र भारतीय महिला खिलाड़ी हैं.
वंदना ने रिटायरमेंट लेते हुए कहा,‘‘ आज भारी लेकिन कृतज्ञ मन से मैं अंतरराष्ट्रीय हॉकी से विदा ले रही हूं. यह फैसला सशक्त सशक्त करने वाला और दुखी करने वाला दोनों है. मैं इसलिए नहीं हट रही हूँ क्योंकि मेरे अंदर की आग मंद पड़ गई है या मेरे भीतर हॉकी नहीं बची है बल्कि इसलिए क्योंकि मैं अपने करियर के शिखर पर संन्यास लेना चाहती हूँ, जबकि मैं अभी भी अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर हूँ.’’ वंदना भारतीय महिला हॉकी टीम की ओर से पहली हैट्रिक लगाने वाली खिलाड़ी भी रही हैं.
उन्होंने आगे कहा ,‘‘ यह विदाई थकान की वजह से नहीं है. यह अंतरराष्ट्रीय मंच को अपनी शर्तों पर छोड़ने का एक विकल्प है, मेरा सिर ऊंचा रहेगा और मेरी स्टिक अभी भी आग उगल रही होगी. भीड़ की गर्जना, हर गोल का रोमांच और भारत की जर्सी पहनने का गर्व हमेशा मेरे मन में गूंजता रहेगा.’’ वंदना ने अपने कैरियर में केवल हॉकी नहीं खेला, वे भारत सरकार के बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान से भी जुड़ी रहीं और सामाजिक सरोकरों के लिए भी भरपूर योगदान दिया.
कटारिया का यह विदाई बयान उनके बेहतरीन करियर की समाप्ति नहीं, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत को दर्शाता है. उनकी यात्रा न केवल एक खिलाड़ी के रूप में प्रेरणादायक रही है, बल्कि उनके योगदान से भारतीय महिला हॉकी को भी वैश्विक मंच पर एक नई पहचान मिली है. कटारिया ने कहा ,‘‘ अपनी साथी खिलाड़ियों, अपनी बहनों से मैं यही कहूंगी कि आपके लगाव और विश्वास ने मुझे बल दिया. मेरे कोचों और मेंटर्स ने अपनी सूझबूझ और मुझ पर भरोसे के सहारे मेरे कैरियर को तराशा.’’
पिता को किया याद
हरिद्वार की रहने वाली कटारिया ने फरवरी में भुवनेश्वर में एफआईएच प्रो लीग में भारत के लिये आखिरी मैच खेला. उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा,‘‘ मेरे दिवंगत पिता मेरी चट्टान, मेरे मार्गदर्शक थे. उनके बिना मेरा सपना कभी पूरा नहीं होता. उनके बलिदानों और प्यार से मेरे खेल की नींव पड़ी. उन्होंने मुझे सपने देखने, लड़ने और जीतने के लिये मंच दिया.’’ हॉकी इंडिया ने अपने सबसे लंबे समय तक खेलने वाली दिग्गज के लिए वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “ कुछ खिलाड़ी खेल से परे होते हैं.”
𝑺𝒐𝒎𝒆 𝒋𝒐𝒖𝒓𝒏𝒆𝒚𝒔 𝒕𝒓𝒂𝒏𝒔𝒄𝒆𝒏𝒅 𝒕𝒉𝒆 𝒈𝒂𝒎𝒆.🏑
Vandana Katariya ➡️320 matches, 158 goals and a legacy that will inspire generations. From a historic hat-trick at Tokyo 2020 to countless unforgettable moments, she has redefined excellence in Indian hockey.… pic.twitter.com/9tgZPqj4KU
2009 में सीनियर टीम में पदार्पण करने वाली कटारिया तोक्यो ओलंपिक 2020 में चौथे स्थान पर रही भारतीय टीम का हिस्सा थी जिसमें उन्होंने हैट्रिक भी लगाई. ऐसा करनी वाली वह पहली और इकलौती भारतीय महिला खिलाड़ी हैं. उन्होंने कहा ,‘‘ लेकिन मेरी कहानी यहां खत्म नहीं होती. यह नयी शुरूआत है. मैं हॉकी उठाकर नहीं रखूंगी. मैं खेलती रहूंगी. हॉकी इंडिया लीग में और उसके अलावा भी. टर्फ पर अभी भी मेरे कदम पड़ेंगे और खेल के लिये मेरा जुनून कम नहीं होगा. मैं अंतरराष्ट्रीय हॉकी से विदा ले रही हूं लेकिन हर स्मृति, हर सबक और सारा प्यार साथ लेकर जा रही हूं.’’