Lalit Upadhyay Announces Retirement from International Hockey: टोकियो और पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम के सदस्य रहे अनुभवी फारवर्ड ललित उपाध्याय ने एक दशक से भी अधिक समय तक चले अपने शानदार अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कह दिया है. ललित ने 2014 में विश्व कप में अंतरराष्ट्रीय हॉकी में पदार्पण किया था तथा ओलंपिक में दो पदक जीतना उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि रहींं. ललित ने रविवार को बेल्जियम के खिलाफ एफआईएच प्रो लीग 2024-25 सत्र के यूरोपीय चरण के भारत के अंतिम मैच के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर जारी की गई पोस्ट में अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लेने की घोषणा की.
एक्स पर अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में ललित ने कहा, ‘‘यह सफर एक छोटे से गांव से शुरू हुआ, जहां संसाधन सीमित थे, लेकिन सपने असीम थे.’’ वह टोक्यो 2020 ओलंपिक में इतिहास रचने वाली टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा थे. भारत ने तब लंबे समय के बाद ओलंपिक में पदक जीता था. भारत ने 2024 में पेरिस ओलंपिक खेलों में फिर से कांस्य पदक जीता और ललित इस टीम का भी अभिन्न अंग थे.
ललित ने आगे लिखा, ‘‘स्टिंग ऑपरेशन का सामना करने से लेकर एक बार नहीं बल्कि दो बार ओलंपिक पोडियम पर पहुंचने का यह सफर चुनौतियों, विकास और अविस्मरणीय गौरव से भरा रहा. 26 वर्षों के बाद अपने शहर से पहला ओलंपियन बनना ऐसी बात है जिसे मैं हमेशा पूरे सम्मान के साथ संजोकर रखूंगा.’’ गोल करने की अद्भुत क्षमता वाले ललित ने सीनियर स्तर पर भारत के लिए 183 मैच खेले, जिनमें 67 गोल किए. 31 वर्षीय खिलाड़ी ने भारतीय टीम के लिए अपना अंतिम मैच 15 जून को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था.
Today, I announce my retirement from international hockey.
— Lalit Upadhyay (@lalithockey) June 22, 2025
It’s a tough moment, but one every athlete must face one day.
It has been the greatest honour and pride of my life to represent our country 🇮🇳🙏
Thank you for everything. 🙏 @HockeyIndiaLeag @TheHockeyIndia pic.twitter.com/OcryhKsYxQ
स्टिंग ऑपरेशन में ललित कैसे फंसे थे?
साल 2008 में जब ललित की उम्र सिर्फ 17 साल थी और उनका करियर नई शुरुआत ही कर रहा था, तभी एक अनचाहे विवाद ने उनके सफर को अचानक थाम दिया. एक टीवी चैनल के रिपोर्टर ने एक एजेंट बनकर भारतीय हॉकी महासंघ (IHF) के उस समय के सचिव के. जोथिकुमारन को एक प्रायोजन (स्पॉन्सरशिप) डील की पेशकश की, लेकिन शर्त यह रखी कि उनके पसंद के खिलाड़ी को भारतीय टीम में लिया जाए और इस चाल में ललित का नाम बतौर मोहरा इस्तेमाल किया गया. ललित इस ‘सौदेबाज़ी’ से पूरी तरह अनजान थे और इस घटना से इतने आहत हुए कि उन्होंने हॉकी छोड़ने का मन तक बना लिया था. हालांकि बाद में उन्होंने अपना मन बदला और आगे चलकर इसने उन्हें मानसिक रूप से और मजबूत बनाया.
दिलीप टर्की ने बताया सबसे शानदार फॉरवर्ड प्लेयर
ललित के भारतीय हॉकी में योगदान का जिक्र करते हुए हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की ने कहा, ‘‘ललित अपनी पीढ़ी के सबसे शानदार और समर्पित फॉरवर्ड में से एक रहे हैं. चाहे वह महत्वपूर्ण ओलंपिक मैच हो या लीग मैच, उन्होंने हमेशा भारतीय जर्सी को गर्व के साथ पहना और दिल से खेला.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘वाराणसी की संकरी गलियों से निकलकर दो बार ओलंपिक पोडियम पर खड़े होने तक का उनका सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है. हम भारतीय हॉकी के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं और उनके जीवन की अगली पारी के लिए शुभकामनाएं देते हैं.’’
ललित की अप्रतिम उपलब्धियां
ललित ने ओलंपिक के अलावा 2016 में एशियाई चैंपियन ट्रॉफी और 2017 में एशिया कप में भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसके अलावा उन्होंने कई अन्य प्रतियोगिताओं में भी पदक जीते जिनमें 2017 हॉकी वर्ल्ड लीग फाइनल में कांस्य, 2018 चैंपियंस ट्रॉफी में रजत, 2018 एशियाई खेलों में कांस्य और 2018 एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में स्वर्ण पदक शामिल हैं. वह एफआईएच प्रो लीग 2021-22 में तीसरे स्थान पर रहने वाली और 2022 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का भी हिस्सा थे. भारतीय हॉकी में उनके योगदान के लिए ललित को 2021 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
‘जब तक भगवान ने…’, भड़के बुमराह ने दिया करारा जवाब, आलोचकों को सुनाया खरा-खरा
IND vs AUS: ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिये भारतीय हॉकी टीम का ऐलान, युवा खिलाड़ियों को मिला मौका
विराट के साथ रिलेशनशिप को लेकर तमन्ना भाटिया ने तोड़ी चुप्पी, कहा- बहुत तकलीफ होती है…
पैसों की तंगी, उधार की किट, लेकिन जज्बा ऐसा कि इंडिया U-16 टीम तक पहुंच गए कृष्णा भगत
ढाबा मालिक की बेटी की लंबी छलांग, हिसार से विश्व चैंपियनशिप तक का सफर नहीं था आसान