बिहार और यूपी के बीच गंगा पर बनेगा एक और भव्य पुल, जून से शुरू होगा निर्माण, पूर्वांचल को मिलेगी नई रफ्तार

Bihar News: बिहार और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला एक और नया गंगा पुल जल्द ही हकीकत बनने जा रहा है. बक्सर और भरौली के बीच 3.2 किलोमीटर लंबा तीन लेन का यह पुल पूर्वांचल को ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा. जिससे आवागमन और व्यापार को नई रफ्तार मिलेगी.

By Abhinandan Pandey | May 9, 2025 1:38 PM
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Bihar News: बिहार और उत्तर प्रदेश के बीच कनेक्टिविटी को और मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है. गंगा नदी पर बक्सर (बिहार) और भरौली (उत्तर प्रदेश) के बीच एक नया तीन लेन का पुल बनाया जाएगा. इस परियोजना की शुरुआती प्रक्रिया तेजी से चल रही है और वर्तमान में पुल के पिलरों के लिए मिट्टी की जांच का कार्य हो रहा है. उम्मीद की जा रही है कि आगामी 15 जून से पुल निर्माण का कार्य धरातल पर शुरू हो जाएगा.

मिट्टी जांच के साथ कार्य ने पकड़ी रफ्तार

निर्माण कंपनी एएससी इंफ्राटेक ने यूपी के भरौली की ओर से 170 फीट गहराई तक बोरिंग शुरू कर दी है, जिसके जरिए मिट्टी के नमूने जांच के लिए दिल्ली भेजे जाएंगे. मिट्टी की गुणवत्ता और मजबूती की रिपोर्ट मिलने के बाद पुल निर्माण की औपचारिक शुरुआत होगी.

पुल की विशेषताएं और तकनीकी जानकारी

तीन लेन वाले इस पुल में कुल 40 खंभे होंगे, जिनमें से 8 गंगा की धारा के भीतर और बाकी 32 खंभे दोनों किनारों पर बनेंगे. पुल की कुल लंबाई 3.2 किलोमीटर होगी, जिसमें वीर कुंवर सिंह सेतु के पश्चिम की ओर 1.2 किमी और भरौली की तरफ 2 किमी लंबा एलिवेटेड रोटरी भी शामिल होगा. यह रोटरी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे से जुड़कर पूर्वांचल को नई गति देगा.

पुरानी बाधाएं और अब मिली मंजूरी

गौरतलब है कि इस पुल की घोषणा केंद्र सरकार द्वारा पिछले आम बजट में की गई थी. डीपीआर तैयार कर अधिसूचना भी जारी की गई, लेकिन तकनीकी खामियों के चलते दो बार टेंडर रद्द करना पड़ा. अंततः 9 जनवरी 2025 को तीसरी बार कार्यादेश जारी हुआ और एएससी इंफ्राटेक को जिम्मेदारी सौंपी गई.

स्थानीय मांगें और चुनौतियां

हालांकि परियोजना में बक्सर गोलंबर पर एलिवेटेड रोटरी शामिल न होना स्थानीय नागरिकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. लोगों का कहना है कि अगर भरौली की तरह बक्सर गोलंबर पर भी एलिवेटेड रोटरी बने तो शहर को जाम की समस्या से निजात मिल सकती है. यह परियोजना न केवल क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को नया आयाम देगी, बल्कि बिहार-यूपी के आर्थिक और सामाजिक संबंधों को भी और मजबूत करेगी.

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