औरंगाबाद/कुटुंबा. आज 1: 45 बजे भगवान सूर्यदेव आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश कर जायेंगे. खरीफ फसलों की उन्नत खेती गृहस्थी की शुरुआत करने के लिए इस नक्षत्र का सदियों से महत्व रहा है. ज्योतिर्विद डॉ हेरम्ब कुमार मिश्र ने बताया कि स्त्री-पुरुष, चंद्रमा-चंद्रमा योग, मूषक वाहन, चंडा नाड़ी और ईश शनि होने के कारण आर्द्रा में तेज हवा के साथ सामान्य वर्षा के योग हैं. उन्होंने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 27 नक्षत्रों में आने वाला छठा नक्षत्र आर्द्रा बड़ा ही महत्वपूर्ण है. यह मॉनसून के आगमन का संकेत होता है. इस नक्षत्र से खेतिहर वर्ग बिल्कुल सजग हो जाते हैं. शास्त्रीय मान्यता के अनुसार आर्द्रा में पृथ्वी के रजस्वला होने की स्थिति कहा जाता है. इसी कारण इस नक्षत्र में यथासंभव खेतों की जुताई कोड़ाई वर्जित माना जाता है. आर्द्रा का अर्थ नम या गीला होता है. यह नक्षत्र परिवर्तन और विनाश दोनों का प्रतीक है. उन्होंने बताया कि आर्द्रा को बारिश का कारक नक्षत्र माना जाता है. इस नक्षत्र से ही वर्षा का आरंभ होता है जो कृषि कार्य के लिए शुभ होती है. इस नक्षत्र में होने वाली वर्षा से खेतों की पैदावार का अनुमान लगाया जाता है. भगवान शिव के रुद्र रूप आर्द्रा के अधिपति हैं. इस नक्षत्र के चारों चरण मिथुन राशि में होने के कारण राशि के स्वामी बुध का भी प्रभाव आर्द्रा नक्षत्र पर पड़ता है. आर्द्रा नक्षत्र पर राहु का शासन होता है. इधरए मृगशिरा नक्षत्र में धरती के तपने के बाद आर्द्रा में बारिश से अच्छी खेती होती है. इसमें किसान खेती का कार्य मनोयोग पूर्वक शुरू करते हैं.
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