Bihar: बिहार की धरती पर फैली हरियाली अब सिर्फ पर्यावरण की दृष्टि से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक गौरव के रूप में भी पहचानी जा रही है. राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने 1500 चिन्हित वृक्षों में से 32 पेड़ों को ‘जैव विविधता विरासत वृक्ष’ का दर्जा देने का फैसला किया है. इन पेड़ों में से 27 ऐसे हैं जो सौ वर्षों से भी अधिक पुराने हैं.
औरंगाबाद का 500 साल पुराना बरगद बना नायक
औरंगाबाद के मदनपुर प्रखंड स्थित दक्षिणी उमगा पंचायत का एक विशाल बरगद इस सूची में सबसे प्रमुख है. विभाग की मानें तो इस वृक्ष की उम्र 500 वर्षों से अधिक आंकी गई है. इसका आकार, विस्तार और स्थानीय लोगों से जुड़ाव इसे सांस्कृतिक रूप से और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाता है. यह सिर्फ पेड़ नहीं, बल्कि एक जीवंत इतिहास है जिसे पीढ़ियों से संजोया जा रहा है.
कड़े मानकों के आधार पर हुआ चयन
विभाग ने जिन मानकों के आधार पर इन वृक्षों का चयन किया है, उनमें उम्र, सांस्कृतिक महत्व, वैज्ञानिक उपयोगिता और प्रजातीय विशेषता शामिल हैं. चयनित पेड़ वे हैं जो कम से कम तीन पीढ़ियों से जीवित हैं और जिनका किसी न किसी रूप में समाज से सीधा जुड़ाव रहा है.
‘बिहार हेरिटेज ट्री’ ऐप के जरिए आमजन भी जुड़ सकेंगे
विरासत वृक्षों की पहचान और संरक्षण को लेकर विभाग ने ‘बिहार हेरिटेज ट्री’ नामक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया है. इस ऐप की मदद से राज्य का कोई भी नागरिक किसी विशेष वृक्ष की जानकारी जैसे फोटो, GPS लोकेशन और विवरण अपलोड कर सकता है. विभाग उस जानकारी का सत्यापन कर सूची में शामिल करने पर विचार करेगा.
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संरक्षण के साथ जागरूकता भी है मकसद
इस पहल का उद्देश्य सिर्फ पुराने वृक्षों को पहचान देना नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति और परंपरा से जोड़ना है. इन विरासत वृक्षों की देखरेख के लिए स्थानीय स्तर पर भी संरक्षण अभियान चलाया जाएगा, ताकि जैव विविधता को सुरक्षित रखने की यह मुहिम स्थायी बने.