छेका की रस्मे आधी अधूरी की गयी पूरी
BSF जवान विजय कुमार का पूरा परिवार भावुक हो उठा. उसी दिन ढाई बजे विजय कुमार को ट्रेन भी पकड़ना था. जल्दीबाजी में किसी तरह छेका की रस्मे आधी अधूरी पूरी की गयी. यूं कहें कि छेका की रस्मे होने के दौरान ही विजय वहां से उठा और अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए तैयार हो गया. जब विजय वर्दी पहनकर अपने कमरे से निकला तो पूरा परिवार मायूस था, लेकिन माता-पिता के हौसले विजय को हिम्मत दे रही थी. एक तरफ परिवार उदास था तो दूसरी तरफ बीएसएफ जवान विजय के ललाट पर उत्साह की चमक थी, क्योकि वह पिछले वर्ष ही सेना में शामिल हुआ था. वह दुश्मनों से लोहा लेने को तैयार था. जिस जगह पर विजय की ड्यूटी लगी है, वह जगह दुश्मनों की रडार पर रहता है. हमेशा युद्ध की स्थिति बनी रहती है.
विजय को पूरे गांव के लोगों ने सम्मान के साथ की विदाई
जवान हमेशा तैयार भी रहते है. जब विजय अपने घर से निकला तो पूरा गांव उसके पीछे चल पड़ा. सभी लोगों में मायूसी छाई हुई थी. देखते ही देखते पूरे गांव के लोगों की भीड़ जुट गई. यानी विजय को पूरे गांव के लोगों ने सम्मान के साथ विदाई दी. इसके बाद विजय ट्रेन पकड़कर अपने ड्यूटी स्थल पर पहुंचा और देश की सेवा में लग गया. बातचीत के दौरान विजय ने बताया कि युद्ध की स्थिति अब सामान्य हो गयी है, लेकिन आतंकवादियों का कोई ठिकाना नहीं होता. वे कभी भी हमले कर सकते है. इसीलिए सभी जवान दुश्मनों को छक्के छुड़ाने को तैयार हैं. विजय की विदाई के दौरान उसके पिता जनेश्वर मेहता, भाई संजय मेहता, अजय मेहता, रफीगंज विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी संतोष कुशवाहा, पूर्व मुखिया प्रतिनिधि कौशल किशोर मेहता सहित अन्य लोग मौजूद थे.
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