औरंगाबाद शहर. औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय के प्रभारी जिला जज प्रथम ने जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति पर अपराधिक हमले में प्राथमिकी दर्ज होने के 24 घंटे के अंदर इंज्युरी रिपोर्ट में जख्म का रंगीन फोटो संलग्न होना आवश्यक है. अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि इससे चोट की प्राकृति और गंभीरता का दस्तावेजीकरण होगा. चोट के कारण निर्धारण और भविष्य में कानूनी कार्रवाई में मदद मिलेगी. यह कोर्ट में सबूत के रूप में पेश होगा. न्यायाधीश ने एक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अब झूठी प्राथमिकी दर्ज करवाने पर सात साल से अधिक की सजा हो सकती है. आरोपित को अपने ऊपर हुई प्राथमिकी से बचने के लिए झूठी प्राथमिकी का सहारा लेना खतरनाक हो सकता है. एक अन्य जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि बैंक अधिकारियों को ग्राहकों के साथ बैंक ऋण मामले में मधुर संबंध नहीं त्यागना चाहिए. अधिवक्ता सतीश ने बताया कि न्यायाधीश ने आत्मसमर्पण सह जमानत याचिका संख्या -817/25 में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ संतोष कुमार और उनके कम्पाउंडर बिट्टू सिंह को जमानत दे दी. उनके खिलाफ शेखपुरा पोइवां निवासी जगनारायण राम ने एससी-एसटी परिवाद-05/22 भादंवि की धारा -323/406/420 और एससी-एसटी एक्ट में दाखिल कराया था.
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