औरंगाबाद शहर. जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव तान्या पटेल ने बताया कि अपने वादों का निस्तारण कराने में मध्यस्थता का प्रयोग करें. कहा कि स्वच्छ समाज तथा स्वच्छ पारिवारिक वातावरण के निर्माण में मध्यस्थता का महत्वपूर्ण स्थान होता है. जिला जज द्वारा सभी न्यायालय को निर्देष भी दिया गया है कि अपने न्यायालय से संबंधित वादों को मध्यस्थता केंद्र भेजें. सचिव ने बताया कि अग्रिम जमानत, सुलहनीय वाद के विचारण के दौरान, वाद के निर्णय के पहले, दीवानी वाद के दौरान के साथ-साथ घरेलू हिंसा, पारिवारिक मामले में वाद लाने के पहले अथवा न्यायालय की कार्रवाई शुरू होने (प्री-लिटिगेशन) जैसे मामलों के निस्तारण में मध्यस्थता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसका उपयोग अधिक से अधिक लोगों को करना चाहिए. मध्यस्थता के तहत विवादों को खत्म करने, प्रेम-भाईचारे एवं पक्षकारों के बीच सौहार्द को पुनः स्थापित करने में काफी कारगर साबित होता है. साथ ही साथ पक्षकारों के विवाद की जड़ अथवा मुख्य कारण पता चलता है और मध्यस्थ यह प्रयास करते हैं कि पक्षकारों की आपसी सहमति से उस कारण का हमेशा के लिए निदान कर दिया जाये. आज के दौर में जिस तरह से विवाद छोटी-छोटी बातों में बढ़ रहा है, खासकर परिवार मामलों में यह देखा जा रहा है कि पक्षकार छोटी से बात को लेकर परिवार विच्छेद की स्थिति उत्पन्न हो रही है और पति-पत्नी के साथ-साथ बच्चों की भविष्य अंधकारमय हो रहा है. इसके निदान में हाल के दिनों में देखा गया है कि मध्यस्थता के माध्यम से कई परिवारों को टूटने से बचाया गया है और उनका परिवार, बच्चे आज खुशहाल जीवन जी रहे हैं. बस जागरूकता की आवश्यकता है और समय रहते मामलों को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने की जरूरत है. न्यायालय को यह निर्देष है कि वैसे मामलों को मध्यस्थता के लिए मध्यस्थता केंद्र भेजें. अगर न्यायालय किसी कारणवश नहीं भेजता है तो पक्षकार या अधिवक्ता मामले को आवश्यक रूप में दोनों पक्षकारों को मध्यस्थता की सलाह देते हुए न्यायालय से अथवा खुद मामले को मध्यस्थता में लाने के लिए प्रयास करें. सचिव ने बताया कि इधर कुछ दिनों में मध्यस्थता के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है तथा मध्यस्थता के प्रति न्यायालय भी सजग हुआ है जिसे और सजगता की आवश्यकता है. मध्यस्थता की महता तथा लोगों के बीच मध्यस्थता के प्रति बढ़े रुचि को देखते हुए और अधिक मेहनत तथा प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके. बताया कि बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना के निर्देश जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति, सर्वोच्च न्यायालय के सहयोग से मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय और न्यायमूर्ति सह कार्यकारी अध्यक्ष, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण और अध्यक्ष एमसीपीसी के मार्गदर्शन में विशेष मध्यस्थता अभियान मध्यस्थता राष्ट्र के लिए पूरे भारत में चलाया जा रहा है जो तालुका न्यायालयों, जिला न्यायालयों और उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों को मध्यस्थता के माध्यम से निपटाने के लिए 90 दिनों का गहन अभियान है. सचिव ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तहत पूरी तरह से प्रशिक्षित मध्यस्थ पक्षकारों की समस्या को सुनकर उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करते हैं और उनका प्रयास लगभग मामलों में सफल रहता है. प्राधिकार अपने स्तर से हर संभव प्रयास करता है कि उन्हें मध्यस्थता के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी उत्पन्न न हो और वे खुले एवं मधुर वातावरण में अपनी समस्याओं का निपटारा कराएं.
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