दिल में 3 स्टेंट डालकर खोला गया मरीज का ब्लॉकेज, PTCA से मिली नई जिंदगी
Bihar : सहरसा के रहने वाले केदार शर्मा को परक्यूटेनियस ट्रांसलुमिनल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी के जरिए नई जिंदगी मिली है.
By Prashant Tiwari | October 13, 2024 7:06 PM
सहरसा के केदार शर्मा (73 साल ) को सीने में तेज दर्द हुआ तो वह काफी घबरा गए. आननफानन में उन्हें पटना ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने सीएबीजी (कोरोनरी आट्री बायपास ग्राफ्ट) करने की सलाह दी. सर्जरी का नाम सुनकर वह काफी परेशान हो गए. घर आने के बाद वह सहरसा स्थित निंती कार्डियक केयर में सेकेंड ओपिनियन लेने गए, जहां उन्हें सर्जरी के बजाय पीटीसीए कराने की सलाह दी गई. वह इसके लिए फौरन राजी हो गए. शक्रवार को उनका सफलतापूर्वक पीटीसीए (परक्यूटेनियस ट्रांसलुमिनल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी) किया गया, जिसके बाद उन्होंने राहत की सांस ली.
PTCA के जरिए ठीक किया गया ब्लॉकेज
निंती कार्डियक केयर के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. गिरिजा शंकर झा ने बताया कि हृदय की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह कम होने के कारण मरीज को एनजाइना (सीने में दर्द) की समस्या हुई थी. दो धमनियों में 80-90 प्रतिशत ब्लॉकेज था. मरीज को सीएबीजी (कोरोनरी आट्री बायपास ग्राफ्ट) करने को कहा गया था पर यहां पीटीसीए के जरिए ब्लॉकेज ठीक किया गया है. इस प्रक्रिया में एक चीरे से दिल के अंदर स्टेंट डालकर ब्लॉकेज को ठीक किया जाता है. मरीज के दिल के अंदर 3 स्टेंट डाले गए ताकि ब्लॉकेज खुल जाएं. मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं और अब राहत महसूस कर रहे हैं.
कोरोनरी धमनियों को खोलने का काम करता है PTCA
बता दें कि पीटीसीए का मुख्य उद्देश्य संकुचित या अवरुद्ध कोरोनरी धमनियों को खोलना है. यह एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें बंद धमनियों को ठीक किया जाता है. प्लाक नामक वसायुक्त जमाव के कारण धमनियां, जो संकुचित या अवरुद्ध हो गई, उनमें कैथेटर नामक एक पतली, लचीली ट्यूब को डाला जाता है. इसके बाद कमर, कलाई या बांह में चीरा लगाकर कैथेटर को अंदर डाला जाता है और इसी के माध्यम से प्रभावित हिस्से में एक छोटा बैलून पहुंचाया जाता है ताकि धमनी को चौड़ा कर इसे फुलाया जा सके. इस तरह से हृदय की मांशपेशियों में रक्त प्रवाह सही हो जाता है.