Bihar: बिहार-झारखंड के वृंदावन के नाम से मशहूर है यह मंदिर, कहानी जान रह जाएंगे हैरान

Bihar: बिहार के बांका में श्रीश्री 108 राधा-कृष्ण पतित पावन मंदिर है जिसे कृष्ण भक्त बिहार-झारखंड का वृंदावन कहते हैं. आइये इस मंदिर की कहानी जानते हैं.

By Paritosh Shahi | December 15, 2024 5:41 PM
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Bihar: बिहार के बांका में एक जगह नये वृंदावन के रूप में ख्याति पा रही है. इसे कृष्ण भक्त बिहार-झारखंड का वृंदावन कहने लगे हैं. यहां देश के विभिन्न राज्यों के साथ ही विदेशों से भी कृष्ण भक्त पहुंचते हैं. बांका के कटोरिया प्रखंड मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित है जमदाहा बाजार. यहां मुंगेर स्टेट के राजा रघुनंदन प्रसाद सिंह की शादी बाबूराम चौधरी की पुत्री रानी सरस्वती देवी के साथ हुई थी. यहां राजा रघुनंदन द्वारा लगभग सवा सौ वर्ष पूर्व निर्मित श्रीश्री 108 राधा-कृष्ण पतित पावन मंदिर (जमदाहा ठाकुरबाड़ी) की ख्याति सिर्फ भारत देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक भी फैली हुई है. यही कारण है कि यहां दुनिया के विभिन्न देशों से कृष्ण भक्त पहुंच कर ठाकुर जी सेवा, भक्ति और भजन में काफी दिनों तक लीन होने के बाद ही वापस लौटते हैं. जमदाहा ठाकुरबाड़ी में एक सप्ताह से एक माह तक विदेशी श्रद्धालु पूरी सादगी से रहकर न सिर्फ पूजा-आराधना में लीन रहते हैं, बल्कि जरूरतमंद लोगों की मदद व सेवा भी करते हैं. यहां अमेरिका, इटली, जापान, जर्मनी, आस्ट्रिया, नार्वे आदि देशों से श्रद्धालु पहुंचते हैं.

राजा बने साधु

राजा रघुनंदन प्रसाद के इकलौते कुमार सच्चिदानंद के दो पुत्र हुए. अनंत कुमार सिंह और कृष्ण कुमार सिंह. अनंत कुमार सिंह की मृत्यु कालांतर में किसी कारण से हो गयी थी. राजकुमार अनंत कुमार सिंह राधा-कृष्ण की भक्ति में ऐसे लीन हुए कि वे राजा से साधु बन गए. वृंदावन में उनके द्वारा बनाए गए ठाकुरबाड़ी में देश के अलावा विदेशों से भी भक्त पहुंचते हैं. राजा से साधु बने अनंत कुमार सिंह अब साधु महाराज के नाम से जाने जाते हैं. इनके देश-विदेश में फिलवक्त हजारों शिष्य हैं. साधु महाराज को इनके शिष्य प्रभु महाराज के नाम से पुकारते हैं. प्रभु महाराज के जो भक्त वृंदावन आते हैं, उनके अधिकांश श्रद्धालु जमदाहा भी पहुंचते हैं. हालांकि कोरोना महामारी के बाद से विदेशी श्रद्धालुओं के जमदाहा पहुंचने की संख्या में कमी आयी है.

कृष्ण भक्त ने किया जीर्णोद्धार

राजा रघुनंदन प्रसाद द्वारा बनाया गया ठाकुरबाड़ी पिछले कई वर्षों से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था. जिसका जीर्णोद्धार ऑस्ट्रिया के भक्त गोपीनाथ ने खुद के पैसे से कराया. फिलवक्त साधु महाराज के आदेश पर यहां निताय बाबा नामक पुजारी ठाकुरजी की सेवा में दिन-रात लगे रहते हैं. विदेशों से पहुंचने वाले भक्तों की देखरेख की जिम्मेवारी भी उन्हीं की होती है. पिछले वर्ष अन्नकूट पूजा में जापान के श्रद्धालु गौर सुंदर व रास माधुरी, जर्मनी के श्रद्धालु जयनंदन महाराज व अमेरिका के नारायण दास भी पहुंचे थे. पांच दिनों के आवासन में उन्होंने मंदिर की परिक्रमा, नाम-प्रचार, अन्नकूट पूजा-पाठ किया था. गरीबों के बीच कंबल व गर्म कपड़े भी बांटे थे.

गांव के लोग रखते हैं पूरा ख्याल

पुजारी निताय बाबा ने बताया कि जमदाहा ठाकुरबाड़ी पहुंचने वाले कृष्ण भक्त जब यहां एक सप्ताह से एक महीना तक रुकते हैं, तो ठाकुर जी को छोड़ कर वापस जाने का उनका दिल नहीं करता. इच्छा होती है कि यहीं के होकर रह जाएं. जमदाहा गांव के लोग विदेशी भक्तों का पूरा ख्याल भी रखते हैं. विदित हो कि जमदाहा ठाकुरबाड़ी के नाम करीब 60 बीघा जमीन है, जिसमें धान सहित अन्य फसलों की खेती भी होती है.

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