राजनीतिक रणनीतिकार से सक्रिय राजनीति में उतरने की तैयारी कर रहे प्रशांत किशोर ने मंगलवार को कहा कि लोगों ने हाल के लोकसभा चुनाव में स्पष्ट संदेश दिया है कि वे “अहंकार” बर्दाश्त नहीं कर सकते या किसी भी नेता को उन्हें हल्के में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
राहुल को जनता का नेता बनने में अभी वक्त-प्रशांत
अपनी राजनीतिक पार्टी शुरू करने के एक दिन पहले किशोर ने एक साक्षात्कार में कहा कि चुनाव परिणामों ने कांग्रेस का नेतृत्व करने की राहुल गांधी की क्षमता पर सवालिया निशान भी हटा दिया है, लेकिन लोकसभा में विपक्ष के नेता को अब भी कुछ दूरी तय करनी है, ताकि देश उन्हें अपना नेता स्वीकार करे. किशोर ने कहा, “उनके (राहुल गांधी के) समर्थक अब मानते हैं कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस पुन: मजबूत हो सकती है. लेकिन इसका एक और आयाम भी है. क्या देश ने उन्हें एक नेता के रूप में स्वीकार किया है? मुझे ऐसा नहीं लगता.”
जनता सब कुछ बर्दाश्त कर सकती हैं लेकिन अहंकार नहीं
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बारे में पूछे जाने पर किशोर ने कहा, “नतीजे बताते हैं कि इस देश में कोई भी नेता लोगों को हल्के में नहीं ले सकता. लोग किसी भी चीज को बर्दाश्त कर सकते हैं, लेकिन अहंकार को नहीं. चाहे वह भाजपा हो, कांग्रेस हो या क्षेत्रीय दल- जहां भी लोगों ने अहंकार और अति आत्मविश्वास देखा, उन्होंने बता दिया है कि कौन स्वामी है.” किशोर ने कहा कि इस फैसले ने इस विचार को बल दिया कि कोई भी अजेय नहीं है।
बीजेपी ने जनता में समझ की कमी समझी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले तीन चुनावों में पहली बार भाजपा ने बहुमत खो दिया, हालांकि पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने आसानी से बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया. विपक्षी गठबंधन ‘‘इंडिया’’ ने भी पूर्वानुमानों को नकारते हुए शानदार प्रदर्शन किया. पीएम मोदी का नाम लिए बिना किशोर ने कहा कि मतदाताओं ने फैसला किया कि अगर उन्हें सत्ता सौंपनी भी पड़ी, तो वे कुछ नियंत्रण के साथ ऐसा करेंगे. उन्होंने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी ने यह धारणा बनाने की कोशिश की कि आम जनता में समझ की कमी है और वे उसके काम के बदले उसके दावों पर विश्वास करेंगे.
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भारत में कोई भी नेता इतना बड़ा नहीं कि…
उन्होंने कहा, “भाजपा को लगा कि लोग मोदी के नाम पर अनिवार्य रूप से वोट देंगे. मतदाताओं ने पार्टी से कहा कि वे अनपढ़ और जाति एवं मंदिर-मस्जिद के मुद्दे पर विभाजित दिख सकते हैं, लेकिन वे इनसे ऊपर उठकर आपको उस स्थान पर पहुंचा सकते हैं जिसके आप हकदार हैं.” किशोर ने कहा कि भारत में कोई भी पार्टी या नेता इतना बड़ा नहीं हो सकता कि वह देश पर एकतरफा प्रभाव डाल सके.
राहुल को कुछ दूरी तय करनी होगी
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को अब विपक्ष और अपनी पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम करना चाहिए ताकि कांग्रेस सत्ता के लिए गंभीर दावेदार बन सके। किशोर ने कहा कि भारतीयों ने इंदिरा गांधी को अपना नेता माना था और जब उन्हें सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा, तब भी कांग्रेस को 154 सीट मिली थी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने अपनी सबसे बड़ी जीत में 99 सीटें जीती हैं और अंतर स्पष्ट है तथा देश द्वारा उन्हें अपना नेता स्वीकार करने से पहले उन्हें कुछ दूरी तय करनी होगी।
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